पंजीकृत एक भी नहीं
सीएजी की टीम ने सतना और रीवा की 6-6 आंगनबाडिय़ों में जाकर भौतिक सत्यापन किया। इनके पंजीयन रजिस्टर के अनुसार दोनों जिलों में एक भी स्कूल से बाहर की किशोरी पंजीकृत नहीं थी, लेकिन सीडीपीओ ने 2018 से 21 तक आंगनबाडिय़ों को जो पैकेट भेजना बताया उनकी संख्या सतना और रीवा में 2420 व 3514 रही। उधर, आंगनबाडिय़ों में जो पैकेट रिसीव हुए वे सतना और रीवा में 1553 व 3514 रहे। इसी अवधि में एमआईएस में पंजीकृत लाभार्थियों की संख्या सतना व रीवा में 5692 व 7130 दिखाई गई। जिसके विरुद्ध जिन लाभार्थियों को लाभ देना बताया गया उनकी संख्या सतना व रीवा में 1062 व 1615 रही। मामले में अनुशंसा की गई है कि संबंधित अधिकारियों की विजिलेंस जांच कराई जाए।
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रीवा प्लांट में भी हुआ बड़ा खेल
टेक होम राशन का प्लांट रीवा में लगाया गया था। यहां भी बड़ा फर्जीवाड़ा पाया गया। रिपोर्ट के अनुसार रीवा प्लांट में 9052 मीट्रिक टन का उत्पादन दिखाया गया है। इसके लिए आवश्यक कच्चा माल 4,432 मीट्रिक टन चाहिए था, लेकिन वास्तव में जो कच्चा माल उपयोग किया गया वह 3,824 मीट्रिक टन रहा। इस तरह यहां 607 मीट्रिक टन कच्चे माल का अंतर उपयोग और आवश्यकता में पाया गया। अनुशंसा की गई है कि विभाग ऐसे अधिकारियों की जांच करे जो फर्जी और अधिक उत्पादन दिखाने में सहायक थे और उन पर जिम्मेदारी तय हो।
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8 करोड़ का कागजी ट्रांसपोर्टेशन
बड़े पैमाने पर टीएचआर का कागजों में परिवहन हो रहा था। जांच में पाया गया कि जिन्हें ट्रक बताकर ट्रांसपोर्टेशन दिखाया गया उनमें से कई दोपहिया वाहनों के नंबर निकले। सतना में इस तरह गैर परिवहन वाला टीएचआर 607 मीट्रिक टन रहा जिसकी कीमत 3.79 करोड़ रही।