scriptsidhi: हाथियों और आदमखोर तेंदुए की दहशत के साए में रात गुजार रहे ग्रामीण | sidhi: villagers are spending the night under the threat of elephants | Patrika News
सतना

sidhi: हाथियों और आदमखोर तेंदुए की दहशत के साए में रात गुजार रहे ग्रामीण

छत्तीसगढ़ राज्य से वापस लौटा हाथियों का झुंड-तेंदुए को कैद करने के लिए वन विभाग द्वारा रखे गए दो पिंजरे, लेकिन अभी तक कैद मेें नहीं आया तेंदुआ

सतनाDec 27, 2022 / 08:52 pm

Manoj Kumar Pandey

sidhi: villagers are spending the night under the threat of elephants

sidhi: villagers are spending the night under the threat of elephants

सीधी/पथरौला। खूनी तेंदुए के दहशत में रात गुजार रहे आदिवासी अंचल कुसमी के संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र से लगे ग्रामीणों के लिए एक और बुरी खबर है। ग्रामीणों के लिए दहशत का पर्याय माने जाने वाला हाथियों का झुुंड तीन माह बाद फिर वापस आ गया है। चार दिन पूर्व 11 हाथियों का यह झुंड छत्तीसगढ़ के जंगलों में विचरण करते हुए पुन: एक बार मबई नदी को पार कर मध्यप्रदेश के संजय टाइगर रिजर्व एरिया में पहुंच गए हैं। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक हाथियों का झुंड डोमार पाठ के जंगलों में स्वछंद विचरण कर रहे हैं। आस पास के ग्रामीण जहां महीने भर में दो मासूमों को निशाना तेंदुआ द्वारा निशाना बनाए जाने और हाथियों के झुंड के आगमन की सूचना से दहशत के साए में रात गुजारने को मजबूर हैं।
उल्लेखनीय है की आदिवासी बाहुल्य जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत ग्राम पंचायत खैरी के गिजोहर गांव में बीते शनिवार को शाम 6.30 बजे खूनी तेंदुआ द्वारा मासूम कमल बैगा को निशाना बनाने के बाद से ग्रामीणों की रात दहशत के साए में गुजर रही है। उधर संजय टाइगर रिजर्व की टीम द्वारा खूनी तेंदुआ को रेस्क्यू करने के लिहाज से गांव में दो पिंजरे रखें गए हैं। जिसमें एक पिंजरा उस जगह पर रखा गया है, जहां पर तेंदुआ द्वारा तड़पते मासूम को छोड़ा गया था एवं दूसरा पिंजरा नंदलाल यादव के घर के पास रखा गया है, जहां से मासूम शिकार नहीं कर पाने के बाद खूनी तेंदुआ ने बकरी का शिकार किया था। हालांकि अभी तक खूनी तेंदुआ कैद में नहीं आया है।
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एक पिंजरे में जिंदा तो दूसरे में रखी गई है मृत बकरी-
खूनी तेंदुए को कैद करने के लिए वन विभाग द्वारा गिजोहर गांव में दो पिंजरे रखे गए हैं। एक पिंजरें में मृत बकरी तो दूसरे पिंजरे में एक जिंदा बकरी कैद की गई है, ताकि तेंदुआ बकरियों का शिकार करने पिंजरे में घुसे और कैद हो जाए। बताया गया की पिंजरे में रखी गई मृत बकरी तेंदुए द्वारा ही शिकार की गई थी, लेकिन वह उसे लेकर भाग नहीं सका था। ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि मृत बकरी के शव से दुर्गंध आती है। जबकि जीवित बकरी देखने अथवा उसे खाना पानी देने के लिए कल से विभाग का कोई भी व्यक्ति नहीं पहुंचा है।
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शोक से नहीं उबर पा रहेे मृत बच्चे के माता-पिता-
तेंदुए के हमले का शिकार हुए मासूम कमल के माता-पिता का घटना के बाद से रो-रो कर बुरा हाल है। मासूम के माता-पिता ने बिलखते हुए बताया कि जैसे ही तेंदुआ बेटे को उठाकर भागा तभी दो बेटियों और एक बेटे ने हल्ला मचाया, तब हम दोनों लोग तेंदुआ के पीछे जलती लकड़ी लेकर दौड़ पड़े तो तेंदुआ जाली में फं सकर बेटे छोडक़र भाग गया, तब तक बेटा जीवित था। तड़पते बेटे को गोद में उठाकर घर तक ले आए, बड़ी उम्मीद थी कि बेटा बच गया। लेकिन घर तक पहुंचने के बाद बेटे ने दम तोड़ दिया।
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हाथियों के वापस आने से याद हुई ताजा-
संजय टाइगर रिजर्व एरिया में रहने वाले हाथियों का झुंड बीते करीब तीन माह पहले संजय टाइगर रिजर्व के जंगलों से निकल कर छत्तीसगढ़ के जंगलों में चले गए थे। लेकिन बीते चार दिनों पूर्व 11 हाथियों का यह झुंड छत्तीसगढ़ के जंगलों में विचरण करते हुए पुन: एक बार मबई नदी को पार कर संजय टाइगर रिजर्व एरिया में पहुंच गए हैं। सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक हाथियों का झुंड डोमार पाठ के जंगलों में स्वछंद विचरण कर रहे हैं। हाथियों के आगमन की सूचना से संजय टाइगर रिजर्व से लगे गांवों के लोगों की पुरानी याद ताजा हो गई जब बीते वर्ष फरवरी माह में हैकी गांव में हाथियों ने तांडव मचाते हुए दादा व पोते को मौत के घाट उतार दिया था। इसके साथ ही कई घरों को छतिग्रस्त करते हुए घर के अंदर रखा अनाज आदि खा गए थे।
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पोंड़ी में पुलिस का डेरा होने से भी दहशत में ग्रामीण-
गिजोहर गांव की घटना के बाद से पोंड़ी में पुलिस बल का डेरा पड़ा है। जबकि गांव में माहौल शांतिपूर्ण बना हुआ है। पुलिस का डेरा अभी पड़ा होने से गिजोहर गांव के रहवासी डर में हैं। हालांकि विभागीय अधिकारी इस मामले में जवाब देने से बच रहे हैं।
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