टीम के अन्य तीन सदस्य घायल और बीमार होने के कारण शिखर तक नहीं पहुंच सके। मेघा ने 2018 में भी माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू की थी, लेकिन अभियान पूरा नहीं कर पाई थी। इसके बाद दोबारा तैयारी कर उसने यह जीत हासिल की। पिता दामोदर परमार ने बताया कि आखिर उसे मेहनत का फल मिल गया।
उल्लेखनीय है कि रत्नेश पांडेय इससे पहले मांउट एवरेट फतह कर चुके हैं। लेकिन इस बार ऑक्सीजन मास्क में खराबी आ जाने से उन्हें 300 मीटर नीचे से शिखर छोडऩा पड़ा। रत्नेश की इस उपलब्धि के बाद सतना स्मार्ट सिटी का ब्रांड एम्बेस्डर बनाया गया है।