ये भी पढ़ें: रेलवे ने बदले नियम: अब जमीन के बदले नहीं मिलेगी नौकरी, सिर्फ 5 लाख से करना होगा संतोष ताकि, उनमें साहसिक खेलों के प्रति आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता, टीम भावना व विपरीत परिस्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो सके। इससे न सिर्फ पर्वतारोहण व साहसिक खेलों के प्रति बढ़ावा मिलेगा, बल्कि युवाओं में नई सोच विकसित होगी। संयुक्त संचालक डॉ. विनोद प्रधान व बीएस यादव ने झंडी दिखाकर खिलाडिय़ों को रवाना किया था।
कौन है रत्नेश पाण्डेयबता दें कि, शहर के खजूरी टोला निवासी
रत्नेश पाण्डेय पिता जयचंद पाण्डेय ने सबसे पहले एवरेस्ट फतह तक अपने अभियान की शुरुआत की थी। पहली मर्तबा नेपाल में आए भीषण भूकंप की वजह से इन्हे आधी चढ़ाई कर के ही वापस लौटना पड़ा था। लेकिन 6 महीने बाद सतना का लाल एवरेस्ट फतह कर ही लौटा। माउंट एवेरेस्ट की दुर्गंम चढ़ाई को पूरा कर भारत का झंडा लहराएगा।
ये भी पढ़ें: MP से महिला का अपहरण कर UP में गैंगरेप, पहले कार सवार दरिंदों ने रास्ता पूछा, फिर उठाकर भाग गए इसके बाद दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत को फतह कर पहली बार वहां राष्ट्रगान करने वाले पेशेवर पर्वतारोही विश्व की सबसे दुरुह और ईरान की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला सबालान में फतह हासिल कर चुके है। अंतरराष्ट्रीय अभियान और युवा शिविर के द्वारा आयोजित यूएआईआई और आईआर ईरान माउंटेनियरिंग फेडरेशन के अभियान के तहत ईरान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी दामावंद और सबालान की चढ़ाई की।