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सतना

होली मनाने से पहले जान लें ये 10 बातें, वरना चुकाना पड़ सकता है भारी नुकसान, पढ़ें चिकित्सकों की राय

होली मनाने से पहले जान लें ये 10 बातें, वरना चुकाना पड़ सकता है भारी नुकसान, पढ़ें चिकित्सकों की राय

सतनाMar 16, 2019 / 02:20 pm

suresh mishra

harmful effects of holi colours holi me kaise rango ka kare upyog

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सतना। होली को महज पांच दिन शेष हैं। ऐसे में शहर का बाजार होली के लिए सज गया है। बाजार में चारों तरफ कैमिकल युक्त रंग भी देखे जा रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि ये कैमिकल युक्त रंग किस तरह से हमारे लिए नुकसानदेय हैं। शहर के डॉक्टरों का कहना है कि सभी लोगों को रासायनिक रंगों से परहेज करना चाहिए। बच्चों को भी इसके लिए जागरूक करना चाहिए। इसके स्थान पर लोगों को हर्बल प्राकृतिक रंगों से होली मनानी चाहिए। रंगों का उल्लास, रासायनिक रंगों की वजह से फीका पड़ जाए, इससे बेहतर है कि हम सभी सावधानी पूर्वक हर्बल रंगों संग ही होली सेलिब्रेट करें।
केमिकल और सिथेटिक रंगों से नुकसान
एक्सपर्ट का कहना है कि हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है जो एलर्जी और अंधापन करता है। काले रंग से गुर्दों को नुकसान पहुंचता है। लाल रंग में मरक्यूरिक ऑक्साइड होता है, इससे त्वचा का कैंसर होने खतरा रहता है। सिल्वर रंग में एल्यूमिनियम ब्रोमाइड है, जो त्वचा का कैंसर करता है। बैंगनी रंग में कोरियन ऑथोडाइड होता है, इससे स्किन की एलर्जी व अस्थमा होने का खतरा रहता है। पीले रंग में ओरमिन होता है जो स्किन एलर्जी करता है। चमकीले रंगों में शीशा होता है इससे स्किन डैमेज होती है।
हर्बल रंगों से लें त्योहार का आनंद
एक्सपर्ट सीमा अग्रवाल कहती हैं कि होली में रंगों का विशेष महत्व है। इसके बिना होली पूरी तरह अधूरी है। कुछ वर्षों से रंगों में कैमिकल का अंधाधुंध इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे कई लोग हर साल परेशान भी हो जाते हैं। हमारे पास रंग खेलने का दूसरा ऑप्शन हर्बल रंग भी है। हम इन रंगों से भी त्योहार का पूरी तरह से आनंद ले सकते हैं। खास बात यह है इन्हें फल, फूल से तैयार किया जा सकता है।
ऐसे नुकसान पहुंचाते हैं रासायनिक रंग
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत अग्रवाल का कहना है कि कैमिकल युक्त रंग शरीर में लग जाता है तो वह त्वचा को शुष्क कर देता है। इससे त्वचा चटखने लगती है, एलर्जी हो जाती है। चेहरे व शरीर पर लाल दाने पड़ जाते हैं। आंखों में रासायनिक रंग चला जाए तो रोशनी जाने का भी खतरा रहता है। मुंह में रंग जाने पर छाले पड़ जाते हैं।
कैमिकल से बने रंग स्किन, आंख के लिए बेहद नुकसानदेय हैं। लोगों को केमिकल रंगों की जगह हर्बल रंगों का इस्तेमाल होली में करना चाहिए।
डॉ. नीलम रिछारिया, प्रिंसिपल, गर्ल्स कॉलेज

मैं तो सभी को हर्बल रंग से होली खेलने की सलाह दूंगी। हर्बल रंग प्राकृतिक रंग है, यह सेहत के लिए फायदेमंद है। घर में आसानी से तैयार हो जाते हैं।
डॉ. जागृति सिंह, एक्सपर्ट नैचोरोपैथी
आज से दो साल पहले कैमिकल रंग मेरी आंख में चले गए थे। तुरंत इलाज कराने जाना पड़ा। तब से मैंने केमिकल की जगह हर्बल रंग से होली खेलना शुरू कर दिया।
ईशान मिश्रा, स्टूडेंट
ऐसे तैयार करें प्राकृतिक रंग
– केसरिया रंग: पलाश के फू लों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है। पलाश के फू लों को रात में पानी में भिगो दें। सुबह इस केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लायें या उबालकर होली का आनंद उठायें। यह रंग होली खेलने के लिए सबसे बढिय़ा है।
– सूखा हरा रंग: मेहंदी का पावडर, गेहूं या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बनाएं। आंवला चूर्ण व मेहंदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है, जो त्वचा व बालों के लिए लाभदायी है।
– सूखा पीला रंग: हल्दी व बेसन मिलाकर अथवा अमलतास व गेंदे के फू लों को छाया में सुखाकर, पीस कर पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं।
– गीला पीला रंग: एक चम्मच हल्दी, दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पडऩे वाले रंग जो खाने के काम आते हैं उनका भी उपयोग कर सकते हैं। अमलतास या गेंदे के फ ूलों को रात को पानी में भिगोकर रखें, सुबह उबालें।
– लाल रंग: लाल चंदन पावडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है। दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर उबालने से लाल रंग प्राप्त होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी मिलाएं।
– जामुनी रंग: चुकंदर उबालकर पीसने के बाद पानी में मिला लें।
– काला रंग: आंवला चूर्ण लोहे के बर्तन में रातभर भिगोएं।
– लाल गुलाल: सूखे लाल गुड़हल के फू लों का चूर्ण उपयोग करें।
– हरा रंग: पालक, धनिया या पुदीने की पत्तियों के पेस्ट को पानी में भिगोकर उपयोग करें। गेहूं की हरी बालियों को पीस लें।
– हरा गुलाल: गुलमोहर या रातरानी की पत्तियों को सुखाकर पीस लें।
– भूरा हरा गुलाल: मेहंदी चूर्ण के साथ आंवला चूर्ण मिला लें।

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