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सतना

STING: हनुमानजी की ज्वाला को शांत करने राम ने लाई थी गंगा, पुरोहितों ने किया पाइप से प्रवाहित

धर्म नगरी चित्रकूट के हनुमान धारा का मामला, पंडि़तों ने रोकी गंगा की धारा, त्रेतायुग में भगवान राम ने हनुमान की ज्वाला को शांत करने के लिए भेजा था चित्रकूट।

सतनाNov 30, 2016 / 01:38 pm

suresh mishra

Hanuman Dhara-4

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सतना।
धर्म नगरी चित्रकूट स्थित हनुमान धारा में इन दिनों गंगा पाइप के सहारे प्रवाहित हो रही है। मंदिर की पूजा में लगे पंडि़तों ने मनमानी तरीके से हनुमान के ऊपर गिरने वाली गंगा की धारा को रोककर नजर अंदाज कर दिया है। हालांकि पंडितों का यह कारनामा वर्षों से चल रहा है। लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारी आज तक इस ओर ध्यान नहीं दिए है।

पत्रिका संवाददाता ने पुजारियों से हनुमान की धारा का महत्व पूछा तो उन लोगों ने संपूर्ण कथा बताई। इस दौरान संवाददाता ने पाइप के सहारे प्रवाहित हो रही गंगा को कैमरे में कैद कर लिया। जिसकी रिकार्डिंग पत्रिका के पास मौजूद है।



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चित्रकूट राम की कर्मस्थली
बदा दें कि, धर्म नगरी चित्रकूट राम की कर्मस्थली है। यहां भगवान राम, सीता सहित अनुज लक्ष्मण के साथ करीब 11 वर्ष बिताया था। इस दौरान राम ने चित्रकूट में विभिन्न प्रकार की लीलाएं की है। कहा जाता है कि महाराजा दशरथ द्वारा कैकयी मां को दिए गए बचनों की रक्षा के लिए राम ने 14 वर्ष के बनवास को स्वीकार किया था। जिसका उल्लेख रामचरित मानस में किया गया है।

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365 दिन एक आकर में बहती है धारा
मान्यता है कि लंका दहन के बाद से हनुमानजी के शरीर में ताप की ज्वाला शांत नहीं हुई थी। 14 वर्ष बनवास व्यतीत करने के बाद भगवान राम अयोध्या के राजा बने। जब राम बैकुंठ जाने लगे तो हनुमान ने प्रभु से कहा, भगमन् लंका जलाने के बाद से शरीर में तीव्र अग्नि कष्ट दे रही है। तब श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा कि-चिंता मत करो। चित्रकूट पर्वत पर जाओ। वहां अमृत तुल्य शीतल जलधारा बहती है। उसी से तुम्हारा कष्ट दूर होगा। तब से ये जलधारा 24 घंटे 365 दिन हनुमान के ऊपर गिर रही।

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मंदिर का समिति द्वारा संचालन
गौतरलब है कि, सती अनुसुइया, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, परिक्रमा पथ, रामघाट, भरतघाट सहित अन्य धार्मिक स्थल मध्यप्रदेश पयर्टन विभाग के अंतर्गत आते है। वहीं हनुमान धारा और कामतानाथ मंदिर का संचालन समिति के द्वारा किया जाता है। यहां पुजारियों की ड्यूटी भी समिति द्वारा लगाई जाती है। लेकिन पदाधिकारी इस मामले में वर्षों से अंजान बने हुए है।

अगर पुजारियों द्वारा पाइप के सहारे गंगा को प्रवाहित किया जा रहा है तो गलत है। वास्तविकता में हनुमान के उपर ही जल धारा गिरनी चाहिए। जो इस तरह कर रहे है उनके उपर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. पन्नालाल अवस्थी, एसडीओपी चित्रकूट

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