1. विमला पाण्डेय: चौराहों पर महापुरुषों की मूर्तियों की स्थापना, चौराहा विकास तथा सौंदर्यीकरण के लिए आर्टीफीसियल लाइट एवं पेड़ लगाए गए। इनके कार्यकाल में 3 लाख रुपए प्रति नग चौराहों पर लगाए गए। प्लॉस्टिक के नारियल पेड़ सुर्खियों में थे।
सबसे व्यस्ततम तथा शहर के बीच में स्थित सेमरिया चौराहे के विकास एवं सौंदर्यीकरण पर निगम प्रशासन ने बीते 15 साल में सर्वाधिक राशि खर्च की है। पूर्व महापौर पुष्कर सिंह तोमर ने सेमरिया चौक विकास एवं सौंदर्यीकरण पर लगभग एक करोड़ रुपए खर्च किए। इसके बाद निगम प्रशासन ने सर्किट हाउस एवं सिविल लाइन चौराहे पर सर्वाधिक राशि खर्च की पर तीनों ही चौराहों की हालत वर्तमान में जर्जर है।
चौराहों पर लगी प्रतिमाएं इनके विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं। जब तक निगम प्रशासन सर्वसम्मति से निर्णय लेकर इन प्रतिमाओं को चौराहे से नहीं हटाएगा, तब तक चौराहे का सौंदर्यीकरण व विकास संभव नहींं। चौराहे पर जहां फब्बारा व सौंदर्यीकरण के अन्य काम होने चाहिए, वहां मूर्तियां खड़ी कर दी गई हैं।
उत्तम बैनर्जी, आर्कीटेक्ट
विपिन आर त्रिपाठी ‘छवि’, आर्कीटेक्ट
सतना नगर निगम प्रदेश की सबसे भ्रष्ट संस्था है। नगर निगम में तीन दशक से पदस्थ इंजीनियरों ने विकास के नाम पर शहर को कबाड़ा कर दिया है। निगम इंजीनियरों की प्राथमिकता में चौराहों का सौंदर्यीकरण कभी रहा ही नहीं। यह सिर्फ चौराहा विकास के नाम पर जनता का का पैसा लूट रहे हैं। यदि इसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए तो चौराहा विकास की पोल खुल जाएगी।
राम कुमार तिवारी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम
यह बात सही है कि चौराहों के सौंदर्यीकरण पर हर साल लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी शहर का एक भी चौराहा एेसा नहीं जिसे हम आदर्श कह सकें। इसके लिए निगम प्रशासन जिम्मेदार है। निगम इंजीनियरों ने आज तक चौराहा विकास की कोई दूरगामी योजना नहीं बनाई। इसका परिणाम यह है कि १५ साल में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी चौराहे बदहाल हैं।
भगवती पाण्डेय, पार्षद वार्ड 22