याचिकाकर्ता ने क्या कहा ?
वकील और याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि हमने पूजा स्थल अधिनियम 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। हमारा कहना है कि जमीयत-उलेमा-ए-हिंद जो पूजा स्थल अधिनियम की जो व्याख्या दी गई है कि आप राम मंदिर के अलावा किसी अन्य मामले के लिए अदालत में नहीं जा सकते हैं। वो असंवैधानिक है।Places of Worship Act तारीख को लेकर विवाद
याचिकाकर्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम में कट-ऑफ डेट 15 अगस्त 1947 है। कट-ऑफ डेट 712 ई. होनी चाहिए जब मोहम्मद बिन कासिम ने यहां पहला हमला किया और मंदिरों को ध्वस्त कर दिया। यह कट-ऑफ डेट असंवैधानिक है। संसद के पास ऐसा कानून बनाने की विधायी क्षमता नहीं है जो लोगों से अदालत जाने का अधिकार छीन सके। यह अधिनियम संविधान की मूल संरचना और अनुच्छेद 14, 15, 19, 21 और 25 का उल्लंघन है।क्या है प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट ?
1991 का प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का उद्देश्य 15 अगस्त 1947 के बाद के धार्मिक स्थलों की स्थिति को सुरखित करना और किसी भी पूजा स्थल के परिवर्तन को रोकना है। इसके साथ ही उनके धार्मिक स्थिति को बनाये रखना और उनकी सुरक्षा करना है।
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