1977 में देश-प्रदेश का राजनीतिक माहौल
23 जून 1977 का दिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम दिन था। राष्ट्रपति शासन खत्म होने के बाद राम नरेश यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। संभल से शांति देवी को जनता पार्टी के टिकट पर संसद भेजा गया। शफीकुर रहमान बर्क को जनता पार्टी के ही टिकट पर विधायक चुना गया।हाल-ए-संभल
संभल में अमूमन कई हिंसाएं देखी गई हैं। इतिहासकारों और एकेडेमिक्स की भाषा में संभल को ‘वर्चुअल क्रेमाटोरियम’ (आभासी श्मशान) कहा जाता है। साल 1935, 1947 का विभाजन और 1978 में यहां भीषण नरसंहार हुआ। साल 1979 प्रकाशित एस. एल. एम. प्रेमचंद की किताब ‘मॉब वायलेंस इन इंडिया’ के मुताबिक 1978 में मुरादाबाद जिले में हिंदुओं की संख्या 30% से भी कम थी।Sambhal: दो बड़े दंगे
इस किताब में ये बात दर्ज है कि साल 1976 और 1978 में संभल में दो बड़े दंगे हुए। किताब के मुताबिक साल 1976 में शाही जामा मस्जिद के इमाम मोहम्मद हुसैन की हत्या एक हिन्दू व्यक्ति ने कर दी। इमाम की हत्या के बाद साम्प्रदायिक मारकाट मच गई और कुछ हिन्दू संभल से बाहर चले गए।1978 का क्या है पूरा मामला?
साल 1978 का दंगा राजनीतिक और सोची-समझी साजिश बताई जाती है। संभल में नगर पालिका कार्यालय के पास महात्मा गांधी मेमोरियल डिग्री कॉलेज था। कॉलेज की मैनेजिंग कमिटी के नियमानुसार प्रबंधन किसी से भी 10 हजार रुपये का चंदा लेकर उसे कॉलेज कमेटी का आजीवन सदस्य बना सकती थी। संभल के ट्रक यूनियन ने डिग्री कॉलेज को 10 हजार रुपये का चेक भेज दिया जो मंजर शफी के नाम से था। बाद में ट्रक यूनियन ने ये साफ किया कि मंजर सफी को इसका कोई अधिकार नहीं है। इसके बाद डिग्री कॉलेज के तत्कालीन उपाध्यक्ष संभल के SDM थे। उन्होंने मंजर सफी को सदस्यता देने से इंकार कर दिया।मंजर सफी समर्थकों ने क्या किया?
सदस्यता न मिलने से नाराज मंजर सफी और उनके समर्थकों ने संभल में तबाही मचा दी। एस. एल. एम. प्रेमचंद की किताब के अनुसार मंजर सफी के समर्थकों ने कई अफवाह उड़ाई जैसे कि मंजर शफी मारे गए, मस्जिद तोड़ दिया गया, पेश-ए-इमाम को जला दिया गया इत्यादि।पान के दुकानदार की हुई हत्या
मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद मंजर शफी को हत्या, सांप्रदायिक हिंसा भड़काने और भड़काऊ बयानबाजी के आरोप में जेल भेज दिया। उसी साल बाहर आने के बाद उन्होंने बंद का आह्वान किया। उनके इस आह्वान का विरोध एक हिंदू पान दुकान के मालिक विनोद प्रमोद ने किया। मौके ओर ही विनोद प्रमोद समेत 3 हिन्दु और एक मुस्लिम की हत्या कर दी गई थी।हिन्दुओं का पलायन
संभल में मची इस मारकाट के बाद संभल की हिन्दू आबादी ने पलायन करना शुरू कर दिया। संभल से मुरादाबाद, लखनऊ और आगरा की और हिन्दू जा कर बसने लग गए। कुछ लोग संभल के नजदीकी कस्बों में रहने लगे। कुछ लोगों ने अपना व्यापार संभल में रखा लेकिन बाहर रहते थे।40 साल बाद मिला मंदिर
संभल में मिला मंदिर एक हिन्दू परिवार के कुलदेवता का मंदिर बताया जा रहा है। इतिहासकारों और शोधार्थियों के अनुसार मंदिर के आसपास पहले हिन्दुओं का परिवार रहता था जो हिंसा के बाद अपने घर बेचकर किसी दूसरी जगह चले गए। यह भी पढ़ें