क्या है पूरा मामला? दरअसल संभल जिले के रहने वाले श्यामलाल ने जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में एक परिवाद दाखिल किया गया था। परिवाद में कहा गया कि वह चंदौसी जिला सत्र न्यायालय में अधिवक्ता हैं और विधि व्यवसाय करते हैं। काम के सिलसिले में वह इलाहाबाद से चंदौसी लौट रहे थे। ट्रेन अभी अलीगढ़ स्टेशन पर पहुंची ही थी कि एनाउंसमेंट हुआ कि लिंक एक्सप्रेस चंदौसी नहीं जाएगी, आगे के सफर के लिए रेलवे ने मना कर दिया। इसके बाद पीड़ित श्यामलाल ने अन्य साधनों से अलीगढ़ से चंदौसी तक की यात्रा पूरी की।
रेलवे ने कोर्ट में दी ये दलील पीड़ित श्यामलाल ने अपने अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय के जरिए जिला उपभोक्ता आयोग संभल में एक शिकायत दर्ज कराई। जिसमें उन्होंने बताया कि चंदौसी पहुंचने के बाद कई बार अपने रिजर्वेशन टिकट का पैसा वापस चाहा, लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। जिसके बाद आयोग ने रेलवे को तलब कर कारण जानना चाहा। रेलवे ने कोर्ट में बताया कि लक्सर में इंटरलॉकिंग का काम होने के कारण लिंक एक्सप्रेस को अलीगढ़ से देहरादून की ओर कैंसिल कर दिया गया थी।
कोरोना के चलते हुई पीड़ित की मौत श्यामलाल की ओर से अधिवक्ता लव मोहन वार्ष्णेय ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पैसा वापस करने के संबंध में कोई भी अनाउंसमेंट विपक्षी द्वारा नहीं की गई थी। मुकदमे के दौरान ही कोरोना से परिवादी श्याम लाल का निधन हो गया।
कोर्ट ने रेलवे को दिया 2 महीने का समय उपभोक्ता फोरम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना आदेश जारी करते हुए रेलवे को आदेश दिया कि 2 माह के अंदर पीड़ित यात्री को पांच हजार रुपये मानसिक क्षति पूर्ति, पांच हजार कोर्ट खर्च समेत 3500 रुपये किराया खर्च हर्जाने के तौर पर देने के आदेश जारी किए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि हर्जाना राशि अदा न करने की दशा में 9% वार्षिक ब्याज भी विपक्षी परिवादी को देने होंगे।