आजम खान पर सपा के इस कद्दावर नेता ने कहा- नहीं जाने देंगे जेल, चाहे कुछ भी करना पड़े, देखें वीडियो भारत में साेमवार यानी 12 अगस्त काे ईद-उल-अजहा (Eid-ul-Adha) मनाई जा रही है। अगर इस्लामिक कलेंडर के अनुसार इस बार Bakrid 12वे महीने (हज के महीने) की 10 तारीख काे मनाई जा रही है। इस्लामिक कलेंडर के अनुसार यह तारीख पवित्र रमजान माह के 70 दिन बाद आती है। इस दिन कु्र्बानी का विशेष महत्व है। इस्लाम धर्म में मीठी ईद के बाद बकरीद भी विशेष त्याैहार हाेता है। इस त्याैहार की तैयारियां भी मीठी ईद यानी ईद-उल-फितर की तैयारी की जाती हैं।
50 हजार का इनामी हाफिज Police Encounter में ढेर, जानिए काैन था हाफिज ? इसलिए दी जाती है कुर्बानी Bakrid News स्मार्ट सिटी सहारनपुर के शहर काजी, काजी नदीम बताते हैं कि इस दिन अल्लाह ने हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लिया था। अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से अपने बेटे काे अल्लाह की राह में कुर्बाान करने काे कहा था। इतना ही नहीं यह कुर्बानी बगैर भावनाओं से करनी थी। यानी बेटे की कुर्बानी करते वक्त हजर इब्राहिम की आंखों में आंसू नहीं आने थे और उनके हाथ भी नहीं कांपने चाहिए थे। अल्लाह ताला के इस आदेश का पालन करने के लिए हजरत इब्राहिम अपने बेटे हजरत इस्माइल काे अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए तैयार हाे गए।
triple tlaq पर कानून बनते ही पत्नी को लेने पहुंचा पति बोला घर चलाे तुम्हारे बिना दिल नहीं लगता, देखें वीडियाे बेटे काे कुर्बान करते समय उनके मन में किसी भी तरह का अहसास ना हाे और उनके हाथ ना कांपे इसके लिए उन्हाेंने अपनी आंखाें में पट्टी बांध ली थी। आंखाे पर पट्टी बांधकर उन्हाेंने कुर्बानी दी लेकिन कुर्बानी देने के बाद आंखाें से पट्टी खाेली ताे वह हैरान रह गए, उन्हाेंने देखा कि उनका बेटा सामने खड़ा हुआ था और जमीन पर एक बकरे जैसे जानवर का धड़ कटा हुआ पड़ा था।
Inspector के वायरल वीडियाे ने कराई UP Police की किरकिरी, SSP ने उठाया बड़ा कदम, आप भी देखिए Viral video दरअसल, हजरत इब्राहिम के इस समर्पण काे देखकर अल्लाह ताला ने उनके बेटे काे जीवन दान दे दिया था। इतना ही नहीं अल्लाह ने कयामत तक इसी तरह से कुर्बानी देने का हु्क्म दिया था। तभी से इस दिन काे बकरीद के रूप में मनाया जाता है और हजरत इब्राहिम के अल्लाह के प्रति सच्चे भाव काे याद किया जाता है। अल्लाह के हुक्म पर इस्लाम में तभी से जानवराें की कुर्बानी शुरु हुई थी।
गाेश्त के किए जाते हैं तीन हिस्से इस दिन जिस जानवर की कुर्बानी दी जाती है उसके गाेश्त काे तीन भागाें में बांट दिया जाता है। काजी नदीम के अनुसार स्वस्थ जानवर की ही कुर्बानी की जाती है। कुर्बानी के बद एक हिस्सा अपने लिए, दूसरा हिस्सा अपने रिश्तेदाराें और कुटुंब के लाेगाें के लिए और तीसरा हिस्सा गरीब परिवाराें में वितरित किया जाता है।