मौलाना अरशद मदनी ने देश में लगातार बढ़ रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर कहा कि वर्तमान स्थिति विभाजन के समय से भी बदतर और खतरनाक हो चुकी है और यह संविधान के वर्चस्व को चुनौती एवं न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान है। उन्होंने आगे कहा कि झारखंड, भारत में मॉब लिंचिंग की शर्मनाक प्रयोगशाला बन चुकी है। जिसके चलते अब तक 19 मासूम बेकसूर लोग इसके शिकार हो चुके हैं। जिसमें 11 मुस्लिम समुदाय व अन्य दलित समुदाय ( dalit community ) से संबंधित हैं। इससे खतरनाक और चिंता की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद मानवता और भाईचारे पर यह दरिंदगी रुकने का नाम नहीं ले रही है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 17 जुलाई 2018 के आदेश में स्पष्ट कहा है कि कोई भी व्यक्ति अपने हाथ में कानून नहीं ले सकता। यह याद रखने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 56 लोग मॉब लिंचिंग ( Mob lynching ) का शिकार हो चुके हैं। जो चिंता का विषय है।