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मुफ्ती अहमद गौड़ ने कहा कि जिसके धर्म का जो तरीका है, वह उसी तरीके से इबादत कर रहे हैं। इससे प्यार मोहब्बत बढ़ने के साथ ही एकता का पैगाम भी जाता है। यह अच्छी बात है कि मंदिर-मस्जिद बराबर-बराबर में हैं। अगर हिन्दू बच्चे मंदिर और मुस्लिम बच्चे मस्जिद जाते हैं तो उसमें कोई हर्ज नहीं है।
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बस इस बात का ध्यान रखने के जरूरत है कि एक दूसरे से कोई मुखालफत न हो। एक दूसरे को कोई तकलीफ ना पहुंचाएं और यही मजहब का मकसद है। ईश्वर और अल्लाह ने इंसान को दुनिया में भेजा है और कहा कि अमन व चैन से रहो। आपस में फसाद मत करो। किसी को सताओ मत। किसी को परेशान न करो। किसी कमजोर पर जुल्म ना करो, उसमें कोई भी किसी भी मजहब का क्यों न हो।
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उन्होंने कहा कि हिंदू हो या मुसलमान सभी को मिलजुल कर रहना चाहिए। इससे मोहब्बत का पैगाम जाता है। उन्होंने कहा कि अगर सलमा अंसारी इंसानियत का पैगाम देना चाहती हैं और इसी के तहत किसी खास वक्त में अगर हिंदू बच्चे पूजा कर रहे हैं और मुसलमान नमाज पढ़ रहे हैं तो इसमें किसी को विरोध करने का कोई हक नहीं है।