नदीमुल वाजदी काे सुनने के लिए यहां क्लिक करें
https://youtu.be/u45XqHekPbw रमज़ान में अगर हम सदका हो नमाज़ हो ज़कात हो जो भी नेकी करते हैं उस नेकी का सत्तर नेकी के बराबर सवाब मिलता है जिस महीने में खुदा पाक ने इतना सवाब रखा है तो उस महीने का बेसब्री से इन्तज़ार क्यों न हो इस महीने की बहुत सी फज़ीलते है.(महत्व) सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस महीने के अन्दर कुरआन शरीफ नाज़िल हुआ वो हमारी शरियत की बुनियाद है और जिस पर हम अम्ल करते है और जिसकी रात दिन हम इबादत करते हैं इस माह की दूसरी खसुसियत यह है कि इस माह में रोज़ा फर्ज़ किया गया और तीसरी खसुसियत (महत्व)एक नेकी करने पर सत्तर नेकी का सवाब तीसरी खसुसियत यह है कि इस माह में सत्तर गुनाह सवाब बढ़ा दिया गया मुसलमानों को चाहिए कि वह इस महीने की कद्र करें और अपने कारोबार को इसलिए लेकर चले कि इबादत के लिए भी वक्त मिले और अपनी मुलाज़मात को भी इस तरह लेकर चले कि इबादत के लिए ज़यादा से ज़्यादा समय मिल सके मुसलमान इस महीने की कद्र करें यह महीना ग्यारह महीने के बाद आता है और जब यह महीना चला जाता है तो हसरत और नरामत के सिवा कुछ नहीं रहता।