इसलिए कांग्रे नहीं लड़ रही चुनाव
दरअसल, राजनीतिक हलकों में ये चर्चा है कि अब कांग्रेस अलग से लड़ती भी है तो इससे भाजपा विरोधी मतों को बांटने का आरोप लगेगा। ऐसी परिस्थिति में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रदेश के क्षेत्रीय दलों का गठबंधन भी कांग्रेस को अपने से अलग कर सकता है। परेशानी यह भी है अगर कांग्रेस यहां पर अकेले चुनाव लड़ती है तो उसकी हालत गोरखपुर और फूलपुर की तरह हो जाती। जहां उसके उम्मीदवार कुछ हजार वोट ही पा सके थे। अलग से लड़कर और किसी मुस्लिम को उम्मीदवार बनाकर वह महागठबंधन को ही नुकसान पहुंचाती, जिसका सीधा फायदा भाजपा को होता। इसी लिए कांग्रेस ने इस चुनाव से अपना प्रत्याशी उतारने से परहेज किया है।
ये हैं भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन के उम्मीदवार
भाजपा ने सहानुभूति की लहर का फायदा उठाने के लिए दोनों ही सीटों पर दिवंगत नेताओं के परिवार की महिला प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद खाली हुई कैराना लोकसभा सीट से भाजपा ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को टिकट दिया है। वहीं, नूरपुर विधानसभा सीट के विधायक लोकेंद्र सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद खाली हुई सीट पर उनकी पत्नी अवनी सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है। गौरतलब है कि कैराना से रालोद की प्रत्याशी तबस्सुम हसन और नूरपुर से सपा के उम्मीदवार नईमुल हसन दावा ठोक रहे हैं। दरअसल, इस उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ सभी विरोधी पार्टियां एक हो गई है। सपा-बसपा, रालोद और कांग्रेस सभी एक साथ आ गई है। यहां तक कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद और भीम आर्मी ने भी गठबंधन के पक्ष में मतदान करना का ऐलान किया हुआ है। ऐसे में भाजपा के लिए इस महागठजोड़ को मात देना मुश्किल नजर आ रहा है।