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सहारनपुर

एक हाथ कटा होने के बाद भी बंसीलाल लोगों के लिए बने मिसाल, उनकी खुद्दारी जानकर रह जाएंगे दंग

बंसीलाल का एक हाथ कटा हुआ है
रस्सी को दूसरा हाथ बनाकर खींच लेता है रेहड़ा
महनत कर इज्जत का निवाला खाने का है जुनून

सहारनपुरJul 14, 2019 / 08:45 pm

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एक हाथ कटा होने के बाद भी बंसीलाल लोगों के लिए बने मिसाल, उनकी खुद्दारी जानकर रह जाएंगे दंग

देवबंद. मंहतन कर इज्जत की रोटी कमाना मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुमकिन बिल्कुल नहीं। इसकी जिंदा मिसाल देवबंद का रेहड़ा चालक मजदूर बंसीलाल है। जिसका एक हाथ कटा हुआ है, लेकिन हौसला बुलंद है। इसी के बूते वह रस्सी को दूसरा हाथ बनाकर रेहड़ा खींच लेता है, लेकिन किसी के सामने हाथ फैलाता नहीं है। बंसीलाल की महनत मजदूरी कर इज्जत का निवाला खाने का यह जुनून उन लोगों के मिसाल है, जो हष्ट पुष्ट होने के बावजूद भीख की कीचड़ में धंसे हुए हैं।

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देवबंद कोतवाली क्षेत्र के गांव बहादरपुर निवासी बंसीलाल की उम्र इस समय करीब पचास साल है। वह रेहड़ा खींचकर मजदूरी करते हुए अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। लेकिन जो एक बात उसे अन्य मजदूरों से अलग करती है। वह है बंसीलाल के शरीर पर केवल एक हाथ कर होना। जी हां जब बंसीलाल केवल दस साल का था तो दुर्घटना में उसका एक हाथ कट गया था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। गुरबत और पढ़ा लिखा न होने के कारण परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी आने पर केवल 18 साल की उम्र में बंसीलाल ने एक हाथ के सहारे ही रेहड़ा संभाल लिया और महनत की दो रोटी कमाने के लिए हष्ट पुष्ट लोगों की भीड़ में शामिल हो गया। आज भी जब बंसीलाल रेहड़े में बंधी रस्सी को दूसरा हाथ बनाकर कुंतलों वजनी सामान खींचता है तो देखने वाले उसके जजबे की तारीफ किये बिना नहीं रह पाते हैं।

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मीडिया से बात करते हुए बंसीलाल ने बताया कि उसे रेहड़ा खींचते हुए करीब 30 साल हो गए हैं। इसी से वह अपने परिवार का पालन पोषण करता है और उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि उसके मां-बाप का देहांत हो चुका है। परिवार में एक छोटा भाई और उसके बच्चे हैं, जिनके लिए ही वह जी तोड़ महनत कर रहा है। बंसीलाल का कहना है कि वह महतन और ईमानदारी की कमाई खिलाकर अपने बच्चों को अच्छा इंसान बनाना चाहता है। सपना है कि उसके भाई के बच्चे पढ़ लिखकर कामयाब आदमी बने और उन्हें उसकी तरह जिंदगी में कभी इतनी महनत करने की जरूरत न हो।

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नगर की अनाज मंडी में दुकान करने वाले संजय गुप्ता का कहना है कि बंसीलाल के जितने हौसले बुलंद हैं, उतना ही उसका शरीर भी मजबूत है। बंसीलाल पर अगर एक कुंतल वजन भी लाद दिया जाए तो वह बगेर किसी की मदद लिये आसानी से उसे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा देता है। उन्होंने बताया कि वह बंसलीलाल को वर्षों से जानते हैं। एक हाथ न होने के बावजूद उसमें इतनी खुद्दारी है कि वह न कभी किसी से मदद मांगता है और न उसे लाचार समझकर मदद करने को पसंद करता है।

अनाज मंडी में ही दुकान करने वाले एक अन्य व्यापारी सुभाष मित्तल का कहना है कि बंसीलाल जैसे लोग ही सरकार की योजनाओं के असली हकदार हैं। लेकिन अफसोस कि बात यह है कि ऐसे लोगों तक ही सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचता है। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों की है कि ऐसे लोगों तक सरकार की योजना का लाभ पहुंचाए।

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