बड़ी खबर: सपा नेता आजम खान का ऐलान, रामपुर से इस नेता को लड़ाएंगे लोकसभा चुनाव, मची खलबली
मुस्लिम समाज के सैकड़ाें लाेग अम्मार के स्वागत में लगे हुए थे आैर हर काेई खुद काे भाजपा मंत्री बताने वाले अम्मार से मिलना चाहता था। सब कुछ सामान्य चल रहा था लेकिन खुद को मंत्री बताने वाले अम्मार के स्वागत में एक भी भाजपाई नहीं पहुंचा। यही एक कारण था जिसने अम्मार के मंत्री बनने पर सवाल खड़े कर दिए। बावजूद इसके अम्मार का यह स्वागत समारोह जुलूस में बदल गया आैर समर्थक जुलूस में शामिल हाे गए। यह जुलूस पेपर मिल राेड से शुरू हाेकर शेखपुरा गांव तक पहुंचा। जब यह खबर सोशल मीडिया पर फैली ताे हल्ला मच गया। भाजपाई भी सन्न रह गए।
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दरअसल ना ताे इस खुद काे मंत्री बताने वाले इस अम्मार अहमद के बारे में किसी काे सूचना थी आैर न ही सांसद से लेकर जिलाध्यक्ष तक किसी काे भी एेसी जानकारी मिली थी कि सहारनपुर से किसी व्यक्ति काे किसी विभाग का निदेशक बनाया गया है। सवाल यह भी था कि आख़िर जिस व्यक्ति का कोई राजनीतिक कद न हो उसे भाजपा ने मंत्री का दर्जा कैसे दे दिया। सवाल उठे तो खुद काे मंत्री बताने वाले अम्मार ने अपना नियुक्ति पत्र भी साेशल मीडिया पर डाल दिया। इसके बाद मामला सुर्खियों में आ गया और भाजपा नेताओं ने भी लखनऊ तक आपने घोड़े दौड़ दिए। देर रात तक किसी काे यह बात समझ नहीं आ रही थी कि आखिर माजरा क्या है ?
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एक आेर खुद को मंत्री बताने वाला अम्मार मीडिया कर्मियों को बयान दे रहा था कि भाजपा ने जाे जिम्मेदारी उसे दी है वह उसे बखूबी निभाएगा आैर दूसरी आेर खुद भाजपाईयाें काे यह बात समझ नहीं आ रही थी कि, आखिर यह कैसा मंत्री है। एक बड़ा कारण यह भी था कि सहारनपुर के सांसद आैर विधायक से लेकर जिलाध्यक्ष तक के पास एेसी काेई काेई सूचना लखनऊ से नहीं पहुंची थी, जिसमें सहारनपुर के किसी व्यक्ति को मंत्री बनाए जाने या किसी विभाग का निदेशक बनाए जाने की बात कही गई हाे। यहां तक कि जिलाधिकारी सहारनपुर और एसएससी सहारनपुर को भी ऐसी कोई सूचना नहीं थी।
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यही कारण था कि मामला उलझता गया और सवाल खड़े होते गए। शुक्रवार को भाजपा के जिलाध्यक्ष बिजेंद्र कश्यप इस मामले काे लेकर एसएससी सहारनपुर बबलू कुमार से मिले आैर पूरे मामले की जांच कराए जाने की मांग की। पुलिस ने इस मामले की जांच पड़ताल की ताे पता चला कि खुद को मंत्री बताने वाला अम्मार गुरुवार शाम से ही गायब है आैर उसका माेबाइल फाेन भी बंद आ रहा है। अब इस मामले में विकास अधिकारी की ओर से सहारनपुर के कोतवाली देहात में मुकदमा दर्ज कराया गया है। मंत्री बताने वाले अम्मार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर इस पूरे मामले की छानबीन शुरू कर दी गई है।
अम्मार को फर्जी नियुक्ति पत्र कहां से मिला, पूरे मामले में यह सबसे बड़ा सवाल है। सवाल यह भी है कि अगर अम्मार का नियुक्ति पत्र फर्जी है तो यह किसने बनाया आैर अम्मार जब लखनऊ से सहारनपुर पहुंचा तो उसके साथ आए दाे गनर आैर सरकारी गाड़ी कैसे मिली। सवाल यह भी है कि, आखिर अब अम्मार कहां गया। उसका फाेन भी बंद है।