दारुल उलूम में मदरसों के राष्ट्रीय सम्मेलन में मौलाना अरशद मदनी का ऐलान किसी बोर्ड से नहीं जुड़ेंगे दीनी मदरसे, नहीं चाहिए सरकारी मदद
Deoband Darul Uloom madrasas national convention देवबंद में दारुल उलूम में कुलहिंद राब्ता-ए-मदारिस इस्लामिया की ओर से मदरसों के राष्ट्रीय सम्मेलन आज से शुरू हो गया है। जमीयत उलेमा हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि, दीनी मदरसे किसी बोर्ड से नहीं जुड़ेंगे, न ही हमें कोई सरकारी मदद चाहिए।
दारुल उलूम में मदरसों के राष्ट्रीय सम्मेलन में मौलाना अरशद मदनी का ऐलान किसी बोर्ड से नहीं जुड़ेंगे दीनी मदरसे, नहीं चाहिए सरकारी मदद
देवबंद में दारुल उलूम में कुलहिंद राब्ता-ए-मदारिस इस्लामिया (Kul Hind Rabta Madrasa-e-Islamic) की ओर से मदरसों के राष्ट्रीय सम्मेलन आज से शुरू हो गया है। मदरसों के संचालन में आने वाली समस्याओं और शिक्षा की बेहतरी पर मंथन किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में जमीयत उलेमा हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि, दीनी मदरसे किसी बोर्ड से नहीं जुड़ेंगे, न ही हमें कोई सरकारी मदद चाहिए। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहाकि, दीनी मदरीस का बोझ कौम उठा रही है और उठाती रहेगी। मदरसों और जमीयत का राजनीति से रत्तीभर वास्ता नहीं है। हमने देश की आजादी के बाद से खुद को अलग कर लिया था। अगर हम उस समय देश की राजनीति में हिस्सा लेते तो आज सत्ता के बड़े हिस्सेदार होते।
देश की आजादी थी मदरसों के स्थापना का मकसद सैयद अरशद मदनी ने कहा कि, दारुल उलूम देवबंद और उलेमा ने देश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाई है। मदरसों के स्थापना का मकसद ही देश की आजादी थी। मदरसों के लोगों ने ही देश को आजाद कराया जो अपने देश से बेपनाह मोहब्बत करते हैं। लेकिन दुख की बात है आज मदरसों के ऊपर ही प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं, और मदरसे वालों को आतंकवाद से जोड़ने के निंदनीय प्रयास किए जा रहे हैं। हर मजहब के लोग अपने मजहब के लिए काम करते हैं तो हम अपने मजहब की हिफाजत क्यों न करें। समाज के साथ साथ देश को भी धार्मिक लोगों की जरूरत है।
यह भी पढ़े – अमेठी में अवैध मदरसे पर चला बुलडोजर 35 मिनट में हुआ जमींदोजकांग्रेस के बुजुर्ग जानते थे दारुल उलूम की देश की आजादी में क्या भूमिका है जमीयत उलेमा हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि,आज दारुल उलूम देवबंद के निर्माण कार्यों पर पाबंदियां लगाई जा रही है। जबकि इससे पहले निर्माण की एक ईंट लगाने के लिए भी किसी की इजाजत नहीं लेनी पड़ी। क्योंकि कांग्रेस के बुजुर्ग जानते थे दारुल उलूम की देश की आजादी में क्या भूमिका है। लेकिन याद रखा जाना चाहिए कि हालात और सरकारें बदलती रहती है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग देश के करोड़ों रुपए लेकर फरार हो गए हैं। लेकिन हम देश के साथ खड़े हैं। कौन किसे वोट देता है या नहीं देता, इससे हमारा कोई लेना देना नहीं है।
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