साल 1992 से चल रहे अयोध्या विवाद पर सुनावई पूरी होने पर मौलाना अरशद मदनी ने सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि अयोध्या विवाद को लेकर मुसलमानों का नजरिया पूरी तरह से तथ्यों और प्रमाणिक सबूतों पर आधारित हैं। उन्होंने दावा किया कि अयोध्या में कभी भी मंदिर को तोड़ कर मस्जिद नहीं बनाई गई, वहीं पहले कोई मंदिर नहीं था। इसलिए मस्जिद को मुसलमानों को वापस देना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को पांच दिसंबर 1992 से पहले की स्थिति को बरकरार रखना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने कहा कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया गया था कि मस्जिद से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी और उसकी पूरी निगरानी होगी। हालाकि उन्होंने कहा कि जो जगह मस्जिद के लिए वक्फ कर दी जाए वो हमेशा मस्जिद ही रहती है, उसकी पहचान में कभी कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही मौलाना मदनी ने कहा कि हम अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं और हम पूरे सम्मान के साथ फैसले को सर झुकाकर स्वीकार करेंगे।