मौलाना मदनी ने कहा, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक रहे। दुनिया में उनकी पहचान शांतिदूत की है। उनकी दरगाह पर हर धर्म के लोग जाते हैं। उनकी दरगाह को बदना करने के उद्देश्य से अजमेर-92 नाम की ये फिल्म बनाई गई है। फिल्म में साल 1992 में घटी घटना का जो रूप दिखाया गया है, वो बहुत निंदनीय और घिनौना है। ऐसे में इस फिल्म पर प्रतिबंध जरूरी है।
पुष्पेंद्र सिंह के निर्देशन में बनी फिल्म ‘अजमेर 92’ अगले महीने14 जुलाई को रिलीज हो रही है। ये फिल्म अजमेर में कई लड़कियों को ब्लैकमेल कर रेप किए जाने की घटना पर आधारित है। 1992 में अजमेर में करीब 100 लड़कियों की नंगी तस्वीरें खींचकर उन्हें ब्लैकमेल करते हुए रेप किया गया था। ये मामला उस समय देश में काफी चर्चा में रहा था।