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साहब ”मां” का दिल टूट जाएगा बस एक माैका दे दाे, देखिए सेना में भर्ती हाेने काे क्या-क्या जतन कर रहे युवा भीम आर्मी ने भी चलाई थी पाठशालाएं यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि भीम आर्मी एकता मिशन के पदाधिकारी भी अपनी पहचान इसी कार्य से कराते हैं। भीम आर्मी के पदाधिकारियाें का भी यही कहना है कि उनका संगठन गांव-गांव में पाठशाला चलाता आैर इन पाठशालाआें मे दलित समाज के गरीब बच्चाें काे पढ़ाया जाता है। अब भीम एकता समिति भी यही याेजना लेकर वेस्ट यूपी में सामने आई है। इससे भी अधिक हैरान कर देने वाली बात यह है कि भीम एकता समिति के पदाधिकारियाें ने पत्रकाराें से साफ कह दिया कि वह सहारनपुर के ही कई गांव में गए लेकिन उन्हे कहीं भी भीम आर्मी की पाठशालाएं नहीं मिली। चंदे के पैसे काे लेकर पहले ही भीम आर्मी के पदाधिकारियाें में विवाद चल रहा है तरह के तरह के सवाल खड़े हाे रहे हैं आैर अब एेसे में इस संगठन ने सामने आते ही संगठन के पदाधिकारियाें ने भीम आर्मी की पाठशालाआें पर यह बयान देकर भीम आर्मी की मुश्किलें आैर बढ़ा दी हैं। इस पत्रकार वार्ता में मुख्य रूप से समिति के अध्यक्ष विकास कुमार, मुख्य सलाहकार सतीश गाैतम, महासिचव माेहन सिंह के अलावा सचिन, गाैतम, सतेंद्र लांबा, अमित घड़काैली, श्याम कुमार, आरएस विद्यार्थी, दीपक नेगी, कुलदीप कपिल आदि मुख्य रूप से माैजूद रहे रहे। यह अलग बात है कि भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष कमल वालिया ने दावा किया है कि भीम आर्मी की 350 से अधिक पाठशालाएं चल रही हैं। उन्हाेंने यह भी कहा है कि वह भीम एकता समिति नाम के किसी संगठन काे नहीं जानते लेकिन फिर अगर काेई संगठन समाज के लिए काम करता है ताे उसका विराेध नहीं करेंगे लेकिन अगर संगठन पदाधिकारियाें ने यह कहा है कि उन्हे सर्वे में कहीं भीम आर्मी की पाठशालाएं नहीं मिली ताे वह अपने सर्वे में सुधार करें।