यहां तैयार हो रही एवियरी
टाइगर रिजर्व ने डोंगरगांव स्थित गिद्ध कोच में एवियरी बनाने का काम शुरू होने वाला है। प्रबंधन का कहना है कि इस एवियरी को तैयार करने में लगभग एक माह का समय लगेगा। इसके बाद यहां पर गिद्ध के बच्चों को रखा जाएगा। एवियरी में अवयस्क गिद्धों को वन विभाग इस प्रकार से ट्रेंड करेगा कि वे खुद खानापीना सीख जाएं। लगभग 5 माह बाद उन्हें एवियरी से बाहर छोड़ दिया जाएगा।
गिद्ध की 9 प्रजातियों में से 7 यहां मौजूद
इस वर्ष हुई गिद्ध गणना में वीरांगना टाइगर रिजर्व में 492 गिद्ध मिले थे। रिजर्व के उप संचालक डॉ. एए अंसारी का कहना है कि देश में गिद्ध की 9 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 7 प्रजातियां टाइगर रिजर्व में मौजूद हैं। इस समय सबसे ज्यादा संकट में भारतीय गिद्ध हैं, लेकिन शीतकालीन व ग्रीष्मकालीन गणना के दौरान टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय गिद्धों की मिली थी। यही कारण है कि केप्टिव ब्रीडिंग से जन्मे भारतीय गिद्ध के बच्चों को विकसित करने टाइगर रिजर्व को चिन्हित किया गया है।
एक महीने में तैयार होगी एवियरी
डोंगरगांव में गिद्ध कोंच है, जहां गिद्धों के सबसे ज्यादा प्राकृतिक आवास हैं। गिद्ध गणना के दौरान अमले ने उन पेड़ों को भी चिन्हित किया था, जिन पर गिद्धों का बसेरा होता है। एक माह में एवियरी तैयार हो जाएगी, उसके बाद यहां केरवा से गिद्ध के तीन जोड़े आएंगे।