-फेफड़े में अधिक होती है यह बीमारी
टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है, लेकिन आम तौर पर फेफड़ों में ही सबसे अधिक होती है। फेफड़ों की बलगम धनात्मक टीबी समाज के लिए भी घातक होती है। इससे ग्रसित रोगी के खांसने, छींकने और बोलने के साथ ही क्षय कीटाणु दूसरे लोगों में फैलते हैं। एक बलगम धनात्मक क्षय रोगी वर्ष भर में 10-15 अन्य लोगों को टीबी का शिकार बना सकता है।
-ये भी हैं टीबी के प्रकार
सरवाइकल टीबी- ये गर्दन में होती है।
हड्डियों की टीबी- ये रीढ़ की हड्डी में होती है।
मेनिनजाइटिस टीबी – ये दिमाग में होती है।
इंटेस्टाइन टीबी – ये आंतों में होती है।
जेनेटिक टीबी – ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के व्यक्ति को होती है।
-हर तीन मिनट में दो मौत
बचाव के लिए बीसीजी का टीका है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए देश भर में डॉट्स नामक एक विशेष कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। इस दिशा में सरकार पूरी तरह गंभीरता बरत रही है। निजी मेडिकल स्टोरों पर भी टीबी की दवा मुफ्त उपलब्ध करा रही है। विडंबना यह है कि हमारा समाज टीबी रोगियों को बड़ी हीन दृष्टि से देखता है। कोई भी टीबी रोगी यह नहीं चाहता कि किसी को उसकी बीमारी का पता चले, इसलिए पहले वह अपनी बीमारी छिपाने का हरसंभव प्रयास करता है और इसी वजह से समय पर इलाज नहीं कराता। जब इलाज कराने जाता है तो पता चलता है कि बहुत देर हो चुका है और वह मौत के मुंह में खड़ा है। देश में टीबी से प्रति तीन मिनट पर दो मौतें होने का यही सबसे बड़ा कारण है।
-यदि आप स्वास्थ्य सेवा में हैं तो…
अगर आप स्वास्थ्य सेवा कर्मचारी हैं तो आप इसके खतरे की जद में रहते हैं। क्योंकि संक्रमित मरीज से इसका बैक्टीरिया आसानी से आपके अंदर प्रवेश कर सकता है। सक्रिय टीबी वाले लोगों के संपर्क में आने से किसी को भी टीबी का संक्रमण हो सकता है। अगर आपकी इम्यूनिटी कमजोर नही है तो आप सक्रिय टीबी का शिकार नही हो सकते। विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण-पूर्व एशिया रिर्पोट में भी भारत को नंबर वन पर रखा है। इसमें बताया गया है कि भारत में महिलाएं टीबी का सबसे ज्यादा शिकार हो रही हैं