महिलाओं को न्याय दिलाने वाले इस केंद्र पर केवल साल भर में 32 मामलों को ही सुलाझाया गया है, ये मामले भी महिला सशिक्तकरण विभाग कलेक्ट्रेट से केंद्र पर पहुंचे। केंद्र सरकार की योजना के तहत तात्कालिक रूप से वन स्टाफ केंद्र (सखी) की स्थापना कराई गई थी, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। पत्रिका ने पड़ताल की तो केंद्र पर ताला लटका मिला।
24 घंटे खुला रखना है सेंटर
वन स्टॉप सेंटर की स्थापना ही इसलिए की गई थी कि महिलाओं या युवतियों को 24 घंटे मदद मिल सके, लेकिन यह सेंटर दफ्तर की तरह भी काम नहीं कर रहा है। यहां केवल एक ही अधिकारी हैं, जो एक-दो बार आकर केवल बाहर से दौरा कर लेती हैं।
स्टाफ की नियुक्ति ही नहीं
हिंसा से पीडि़त महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही स्थान पर अस्थायी आश्रय, पुलिस-डेस्क, विधि सहायता, चिकित्सा एवं काउन्सलिंग की सुविधा, इस केंद्र की स्थापना कराई गई थी। दिल्ली में हुए निर्भया हादसे के बाद केंद्र सरकार की इस योजना के तहत राज्य के 18 जिलों में इन केंद्रों की मंजूरी हुई। शहर में अधिकारियों ने तात्कालिक तौर पर शिशु बाल गृह के ऑफिस में यह केंद्र खोल दिया, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि महिलाओं को न्याय देने के लिए यहां स्टाफ की ही नियुक्ति नहीं की गई। केवल एक अधिकारी के भरोसे ही पूरा केंद्र संचालित हो रहा है। 4 फरवरी 2017 को यहां केंद्र की स्थापना की गई और 1 साल बाद भी महिलाओं को न्याय मिलना शुरू नहीं हुआ है
महिला पुलिस सेल कराते हैं काउंसलिंग
केंद्र की प्रशासनिक अधिकारी राजेश्वरी श्रीवास्तव ने बताया कि क्रेंद्र पर 32 केस का निपटारा हुआ है, महिलाएं कलेक्टे्रट में महिला सशक्तिकरण के ऑफिस पहुंची हैं, जिनका निपटारा केंद्र पर हुआ है। उन्होंने बताया स्टाफ न रहने की वजह से महिला पुलिस सेल काउंसलर को बुलाकर काउंसलिंग कराते हैं। अभी तक पति-पत्नी के विवाद को लेकर ही मामले आए हैं। श्रीवास्तव ने बताया केंद्र के अलावा बाल संप्रेषण का अतिरिक्त प्रभार भी हैं, इसलिए केंद्र को खोलने में कभी देरी हो जाती है।
ये हैं उद्देश्य
01. एक ही छत के नीचे हिंसा से पीडि़त महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदाय करना।
02. पीडि़त महिला एवं बालिका को तत्काल आपातकालीन एवं गैर आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध करना, जैसे-चिकित्सा, विधिक, मनौवैज्ञानिक परामर्श आदि।
लक्षित समूह
हिंसा से पीडि़त महिलाएं व बालिकाओं को सहायता देना। 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की सहायता हेतु लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अंतर्गत गठित संस्थाओं को सेंटर से जोडऩा।
एक वर्ष पहले तात्कालिक रूप से केंद्र की स्थापना कराई गई थी। मार्च तक जिला अस्पताल कैम्पस में केंद्र खोला जाएगा। साथ ही 15 जनवरी तक प्राइवेट एजेंसी से स्टाफ की भर्ती होने जा रही है।
सुभाषनी राम, महिला सशिक्तरण अधिकारी