जिनका चरित्र पूरा गांव जानता है, उनका रावण दहन करने का औचित्य क्या – भार्गव
पोस्ट में पूर्व मंत्री भार्गव ने कहा कि विजयादशमी को हम बुराई पर अच्छाई की विजय का त्योहार मानते हैं। रावण ने सीता माता का हरण किया लेकिन सीता जी की असहाय स्थिति में भी उनका स्पर्श करने का प्रयास नहीं किया। सभी प्रकार की रामायणों में उल्लेख है कि रावण से बड़ा महाज्ञानी, महातपस्वी, महान साधक और शिवभक्त भूलोक में नहीं हुआ, जिसने अपने शीश काट काटकर भगवान के श्री चरणों मे अर्पित किए। ऐसे में आजकल ऐसे लोगों के द्वारा जिन्हें न किसी विद्या का ज्ञान है, जिन्हें शिव स्तुति की एक लाइन और रुद्राष्टक, शिवतांडव का एक श्लोक तक नहीं आता, जिनका चरित्र उनका मुहल्ला ही नहीं बल्कि पूरा गांव जानता है, उनके रावण दहन करने का क्या औचित्य है? हम सबसे पहले इस बात का प्रण लें कि हमें अपने मन के अंदर और अपनी इंद्रियों में बैठे उस रावण को मारना होगा जो तीन और पांच वर्ष तक की अबोध बच्चियों के साथ दुष्कृत्य करने को प्रेरित करता है। हम सभी भारतीयों के लिए यह आत्ममंथन का विषय है।