एक दिन में ही धुले कपड़ों का स्टॉक हुआ खत्म
जानकारी के अनुसार 31 दिसंबर से लॉन्ड्री बंद चल रही थी, जबकि हर वार्ड में 20-25 चादर, ओटी में डॉक्टर्स के गाउन व अन्य साफ कपड़े रोज लगते रहे। व्यवस्था के तहत हर वार्ड में धुले कपड़ों का स्टॉक होता है, जो एक दिन में ही खत्म हो गया। रविवार को ही वार्डों में साफ कपड़े खत्म हो गए थे।गायनी व सर्जरी के वार्डों में ज्यादा दिक्कत-
साफ कपड़ों की सबसे ज्यादा जरूरत 9 ऑपरेशन थियेटर, सर्जरी के 4 और गायनी के 2 वार्डों में भर्ती मरीजों को होती है, क्योंकि यहां से हर दिन खून व मवाद से सने कपड़े निकलते हैं, जिसमें संक्रमण ज्यादा घातक हो सकता है। यहां किसी तरह व्यवस्थाएं वार्ड प्रभारियों ने संभाल रखीं हैं, लेकिन मरीज संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।लॉन्ड्री में लग गया गंदे कपड़ों का ढेर
तीन दिन बाद सोमवार को जब कुछ कर्मचारी अवकाश से लौटे तो वार्डों से आए गंदे चादरों के ढेर लग गए। वार्ड प्रभारियों ने धुले चादर मांगे तो लॉन्ड्री के एक कर्मचारी ने वापस से गंदे चादर वार्ड में रख दिए। वार्ड प्रभारियों को मजबूरी में संक्रमित बेडशीट पलंग पर बिछानी पड़ी।हो सकते हैं घातक परिणाम
-घाव में इंफेक्शन का खतरा-ऑपरेशन के टांके पकने का डर
-स्किन इंफेक्शन
-जख्म भरने में देरी
-गंदगी व बदबू
बिना किराया लिए लाखों रुपए भुगतान करता है प्रबंधन
लॉन्ड्री संचालन के लिए बीएमसी प्रबंधन ने ग्वालियर की एक कंपनी को ठेका दिया है। प्रबंधन ने परिसर में करीब 4 हजार वर्गफीट जमीन बिना किराया लिए ठेकेदार को दी है, प्रत्येक कपड़े के हिसाब से हर माह लाखों रुपए का भुगतान किया जाता है। कंपनी ने यहां दो बड़ी धुलाई की व दो कपड़े सुखाने की मशीनें लगाईं हैं।फैक्ट फाइल
500-550 चादर रोज निकलते हैं।25-27 ऑपरेशन में गाउन इस्तेमाल होते हैं।
150 गायनी वार्ड के इंफेक्टेड चादर होते हैं।
30 वार्डों में हर दिन नए चादर की आवश्यकता होती है।
जिम्मेदार बोले
-त्योहार के दिन प्लांट बंद था। बीच में एक दिन कर्मचारी अवकाश पर थे, इसलिए थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन आज से व्यवस्थाएं ठीक हो गईं हैं, आज लॉन्ड्री के एक लडक़े ने गलती से बगैर धुले चादर वार्ड में दे दिए थे।– डॉ. एसपी सिंह, लॉन्ड्री व्यवस्था प्रभारी अधिकारी।
– डॉ. राजेश जैन, अधीक्षक बीएमसी।