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India के National Game की महिला खिलाडिय़ों का अपमान, नेशनल के लिए चयन, विवि के पास नहीं फंड

नेशनल प्रतियोगिता में पहली बार मिले मौके को भुनाने खिलाड़ी टर्फ हॉकी की जगह लकड़ी की हॉकी से प्रेक्टिस कर रही हैं।

सागरDec 28, 2017 / 11:36 am

आकाश तिवारी

सागर. भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी को बढ़ावा देने के लिए भले ही बड़ी-बड़ी बातें की जाती हो, दावे किए जाते रहे हैं, लेकिन हकीकत क्या है। वह इस खेल को खेलने वाले खिलाडिय़ों के अपमान से बयां हो जाती है। राष्ट्रीय खेल में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद जब उन्हें नेशनल खेलने के लिए मौका मिलता है तो मप्र सरकार या उसके अधीन विश्वविद्यालय के पास उनके टूर के लिए फंड नहीं होता हैं। हद तो तब हो जाती है जब खिलाडिय़ों से ही ५-५ हजार रुपए की फंडिंग करने के लिए कह दिया जाता है। ऐसे में लज्जित खिलाड़ी खुद की किस्मत को कोसते हुए घर बैठने के लिए राजी हो जाते है। सवाल यह है कि क्या मप्र सरकार प्रदेश के उभरते खिलाडिय़ों और राष्ट्रीय खेल के प्रति यही दायित्व हैं। या फिर खेलों के नाम पर सिर्फ कागजी दावे प्रस्तुत करना सरकार का शौक बन गया है।

2 जनवरी को गुजरात के वड़ोदरा में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है। इसमें महाराजा छत्रसाल विवि की महिला हॉकी टीम को भी शामिल होना है, लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक खिलाडि़यों को रवाना करने की व्यवस्था ही नहीं हुई है। पूरे इंतजाम की जवाबदेही छतरपुर विवि के शारीरिक शिक्षा विभाग की है, लेकिन जिम्मेदार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। महिला खिलाडिय़ों को न तो किट दी गई है और न ट्रैक सूट की व्यवस्था है। नेशनल प्रतियोगिता में पहली बार मिले मौके को भुनाने खिलाड़ी टर्फ हॉकी की जगह लकड़ी की हॉकी से प्रेक्टिस कर रही हैं। उन्हें टूर्नामेेंट से वंचित होने का डर सता रहा है।

 

नेशनल के लिए पहली बार चयन, प्रतिभा दिखाने में फंड बना रोड़ा


5 हजार रुपए मांगे जा रहे प्रत्येक खिलाड़ी से विवि की उदासीनता के
कारण गल्र्स डिग्री कॉलेज यह जिम्मेदारी उठाने से बच रहा है। कॉलेज प्रबंधन द्वारा प्रत्येक खिलाडि़यों से पांच-पांच हजार रुपए की मांग की जा रही है। उनसे यह कहा जा रहा है कि विवि प्रशासन जब राशि मंजूर कर देगा तब उनके पैसे लौटा दिए जाएंगे। खिलाडि़यों का कहना है कि कॉलेज अपने मद से खिलाडि़यों का खर्च उठा सकता है। बाद में विवि से राशि वसूल सकता है। कई खिलाडि़यों का कहना है कि वे पांच हजार रुपए देने तैयार हैं, लेकिन बदले में उन्हें कोई रसीद नहीं दी जा रही है।

खिलाडिय़ों को पहली बार मिला है मौका
संभाग की १६ हॉकी खिलाडि़यों का दल टूर्नामेंट के लिए तैयार है। हालांकि टर्फ हॉकी के बगैर खिलाडि़यों ने प्रेक्टिस की है, जो टूर्नामेंट के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। दो साल में पहली बार छत्रसाल विवि की इंटर यूनिवर्सिटी नेशलन लेवल के टूर्नामेंट में भाग लेने जा रही है। लेकिन यहां भी उन्हें बुनियादी सुविधाओं तक के लिए मोहताज होना पड़ रहा है।

..तो कैसे पहुंचेगी
दल को ३१ दिसम्बर को शाम ४ बजे शालीमार एक्सप्रेस ट्रेन से जाना है। लेकिन अब तक रिजर्वेशन नहीं हुए हैं। खेल प्रभारी डॉ. मोनिका हार्डिकर ने बताया कि विवि प्रबंधन को इस संबंध में जानकारी दे दी गई है, लेकिन अवकाश के कारण फंड रिलीज नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रबंधन अपने स्तर पर इंतजाम करने का प्रयास कर रहा है। शालीमार ट्रेन के लिए तत्काल में रिजर्वेशन कराया जाएगा।

यह टूर्नामेंट नेशनल लेवल का है। संभागीय टीम का चयन सागर में हुआ है। इसे टूर्नामेंट के लिए भेजने की जवाबदारी कॉलेज प्रबंधन की है। दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक इन्हें भेजने की तैयारी तक नहीं नजर आ रही है।
मकसूद खान, सचिव हॉकी संघ

खिलाडि़यों से कोई रुपए नहीं मांगे जा रहे हैं। विवि स्तर से फंड रिलीज नहीं हुआ है। कॉलेज प्रबंधन अपने स्तर पर इन्हें भेजने की तैयारी कर रहा है। टीम निश्चित रूप से टूर्नामेंट में हिस्सा लेगी।
डॉ. मोनिका हार्डिकर, खेल प्रभारी गल्र्स डिग्री कॉलेज

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