फिलहाल वह एमटीवी पर प्रसारित होने वाले शो बढ़ो बहू में नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि मूंछ न कटवाने की जिद पर महाभारत में उस समय अर्जुन की जगह कर्ण का रोल प्ले किया था। सागर में गत दिवस को एक शाम शहीदो के नाम कार्यक्रम में शामिल होने आए अभिनेता पंकज धीर ने पत्रिका से खास बातचीत की।
धीर ने बताया कि 1986 में अंग्रेजी से हिंदी फिल्मों की डबिंग डायरेक्टर बीआर चोपड़ा के ऑफिस में करता था। एक दिन रात में एक बजे मुझे स्टूडियो बुलाया। दूसरे दिन वहां पहुंचा तो 6 हजार लोगों ने ऑडिशन दिया। महाभारत में अर्जुन के रोल के लिए 15 मिनट में ही मेरा चयन हो गया। दो माह शूटिंग हुई। इसके बाद मुझे अर्धनागेश्वरी का रोल करना था। इसके लिए मूंछ कटवाने के लिए कहा गया। मैंने मना कर दिया। मेरी जिद की वजह से मुझे बाहर कर दिया गया। चार माह बाद फिर स्टूडियो फोन करके बुलाया गया और कर्ण का रोल प्ले करने के लिए कहा गया। उस वक्त कहा गया कि एक बार फिर सोच लो अर्जुन, अर्जुन ही है। तब भी मैंने कहा कर्ण का ही रोल करूंगा।
यहां के लोगों में है अपनापन
25 साल बाद मप्र की धरती पर कदम रखने वाले धीर ने बताया कि मुंबई में भागती हुई जिंदगी की वजह से अपनापन गायब हो रहा है। यहां के लोग मेहमानों को प्यार देते हैं, दूसरों शहरों से यह गायब हो रहा है। यहां जब होटल में खाना खाओ तो वेटर भी बोलता है, साहब एक और रोटी ले लीजिए। यह संस्कृति अब बड़े शहरों में नहीं हैं।
बुंदेलखंड का इतिहास कमाल का
बुंदेलखंड का इतिहास कमाल का है। यहां राजपूतों और किलों की कहानी अब भी हमारे दिलों को छूती है। साथ ही इस धरती से निकले अभिनेता भी बॉलीवुड में अपना जादू बिखेर रहे हैं। धीर ने बताया कि अभिनेता गोविंद नामदेव के फोन पर मैं सागर आ गया। वह इतने मंझे हुए कलाकार हैं कि उन्हें न नहीं कह सकता।