यहां के लोगों का दावा है कि तब से लेकर आज तक नट-नटिन की आत्मा किले और महल के आस-पास घूमती रहती है। नट और नटिन से जुड़ी कहानी के मुताबिक किसी जमाने में यहां एक बूढ़े राजा का शासन था। बुंदेलखंड में पडऩे वाला ‘गढ़ पहराÓ उसकी राजधानी थी। उस दौरान राज्य में एक नट और नटिनी के खतरनाक करतबों और रस्सी पर चलने के दौरान उनके संतुलन की खूब चर्चाएं होती थी।
यह भी कहते हैं कि उसी रात शादी नहीं होने से परेशान राजा की बेटी भी महल छोड़कर भागना चाहती थी, जबकि उसी रात राजा की पत्नी भी इस बात से दुखी थी कि करतब दिखाकर नट-नटिन उनका आधा राज्य ले लेंगे। नटिन के गाने को सुनकर राजा के बेटे ने अपना मन बदल लिया। उसने सोचा, अब बूढ़ा पिता कितने दिन जीवित रहेगा? जबकि, बेटी ने भी यह सोचकर अपना मन बदल लिया कि जैसे – इतना दिन बीत गया है, वैसे ही कुछ और दिन गुजर जाएंगे।
सुबह तय वक्त पर इस खतरनाक खेल को देखने के लिए हजारों की संख्या में राज्य की जनता उमड़ पड़ी। महल के परकोटे से दूसरे छोर तक ऊंचाई पर बंधी रस्सी देखकर ही लोगों को भय लगा था। राजा अपने महल की छत पर राज परिवार के साथ करतब देखने के लिए बैठा था। नट ने नगाड़े की थाप दी और रस्सी पर चलकर खाई पार करने का खतरनाक खेल शुरू हो गया। नटिन बांस की डंडी के सहारे रस्सी पर चलने लगी। कथा के मुताबिक रस्सी पर गजब का संतुलन दिखाते हुए नटिन कुछ ही देर में आधे रास्ते तक पहुंच गई थी। उसके ऐसा करते ही रानी की चिंताएं बढऩे लगी। नटिन पर राजा की आसक्ति देखकर रानी को लगा कि आधा राज तो जाएगा ही, कहीं राजा नटिन से विवाह भी न कर ले। तभी रानी ने एक खतरनाक फैसला लिया। जिस रस्सी पर नटिन चल रही थी, रानी ने उसे कटवा दिया। नीचे चट्टानों पर गिरने से नटिन की मौत हो गई।
नटिन के वियोग में नट ने भी नगाड़े पर थाप देते-देते अपनी जान दे दी। कहते हैं कि नट-नटिन की मौत के कुछ ही दिन बाद बूढ़े राजा का पूरा राज्य तहस-नहस हो गया। सागर में किले से सटे हाईवे पर रात के दौरान कई वाहन चालकों ने एक महिला को टहलते हुए देखने का दावा किया है। लोग मानते हैं कि ये उसी नटिन की आत्मा है, जिसकी जान रानी के धोखे में चली गई थी। कुछ लोगों ने किले के पास रात में दर्द भरे गीत भी सुनने का दावा किया है। वैसे, यहां प्रचलित दंतकथाओं में भी कहा जाता है कि नट-नटिन रात के दौरान रोज वही दुखभरा गीत गाते हैं, जो उन्होंने करतब से पहले रात में गाया यहां के लोगों का दावा है कि तब से लेकर आज तक नट-नटिन की आत्मा किले और महल के आसपास घूमती रहती है। हालांकि, इतिहास में इस तरह का कोई लिखित साक्ष्य नहीं है। कुछ पुरानी मीडिया रिपोट्र्स में जरूर इस बात का जिक्र किया गया है। उस गाने का बोल ‘गई रात अब पहर थोड़े…’ है।