देशभक्ति और महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित समूह गान की हुई प्रस्तुति
विश्वविद्यालय के गौर प्रांगण में समूह गान (भारतीय) एवं समूह गान (पाश्चात्य) की प्रस्तुतियां संपन्न हुईं। कार्यक्रम के दौरान बुंदेली के प्रख्यात लोक गायक शिव रतन यादव, हरगोविंद सिंह, देवी सिंह राजपूत उपस्थित थे। विभिन्न विश्वविद्यालयों ने देशभक्ति गीतों से ओत-प्रोत प्रस्तुति दी। अधिकांश ने महिला सशक्तिकरण का संदेश देने वाले गीतों की प्रस्तुति दी। बुंदेली और भोजपुरी में लोकगीत भी प्रस्तुत किए गए, जिसने श्रोताओं का मन मोह लिया। कजरी के तंज भरे बोल श्रोताओं को लुभाते नजर आए व होली के गीतों ने भी ऊर्जा का संचार किया।
धर्म और अधर्म के द्वंद्व को उकेरा
स्वर्ण जयंती सभागार में तीसरे दिन सात नाट्य प्रस्तुतियां हुई। रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने गरीबी का जीवन जी रहे एक अपाहिज लड़के को परिवार और समाज द्वारा बोझ के रूप में देखे जाने की मार्मिक कहानी को दर्शाया। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा ने समाज में गालियों के बढ़ते चलन और उनके दुष्प्रभाव को हास्यपूर्ण ढंग से उजागर किया। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल ने महाभारत की पृष्ठभूमि पर आधारित प्रस्तुति में युद्ध के दौरान पांडवों और कौरवों की सेनाओं में लड़ते हुए एक ही परिवार के दो बेटों की मृत्यु को दिखाया। इसके माध्यम से धर्म और अधर्म के द्वंद्व को उकेरा गया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी ने भारत विभाजन की त्रासदी को सआदत हसन मंटो की कहानियों के माध्यम से मंच पर जीवंत किया।