तीन से चार गुना महंगा
आमतौर पर सड़क को दो हिस्सों में बांटने के लिए सीमेंट-कांक्रीट के डिवाइडर बनाए जाते हैं, लेकिन इस बार सागर-भोपाल नेशनल हाइवे पर शहर से लेकर भापेल तिराहे तक लोहे की मोटी पत्तियों के डिवाइडर लगाए जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो यह डिवाइडर सीमेंट-कांक्रीट की तुलना में तीन से चार गुना महंगे पड़ रहे हैं। जानकारी के अनुसार मोतीनगर चौराहे से भापेल तिराहे तक करीब 11 किलो मीटर सड़क पर यह काम किया जाना है, जिसमें तीन से चार करोड़ रुपए की राशि व्यय होगी, जबकि सीमेंट-कांक्रीट से काम होता तो एक से डेढ़ करोड़ रुपए में ही पूरा काम हो जाता और ज्यादा टिकाऊ भी रहता।
सड़क पर हो गए बड़े-बड़े गड्ढे
एनएचआई ने चौंड़ीकरण का काम शुरू करने के पहले शहर से लेहदरा नाका तक सड़क के दोनों ओर खड़े बड़े-बड़े पेड़ काटे थे। इसके बाद बेसमेंट के काम पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन अब जहां-जहां भी पेड़ थे वहां पर सड़क धसने लगी है और बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। अब इनको भरने के लिए ठेकेदार सीमेंट-कांक्रीट से भरने की तैयारी कर रहा है, एेसा पहले भी बीते सालों में किया जा चुका है।
सीमेंट से कवर करेंगे
डिवाइडर के दोनों ओर करीब पौन फीट ऊंचाई तक सीमेंट-कांक्रीट से कवर किया जाएगा। इसके बाद वाहनों की टक्कर से डिवाइडर टूटेंगे नहीं।
पंकज व्यास, कार्यपालन यंत्री, एनएचआइ