scriptमन के विकार और कसाय को घर के बाहर छोड़ दो : आचार्य निर्भय सागर | dharam karam | Patrika News
सागर

मन के विकार और कसाय को घर के बाहर छोड़ दो : आचार्य निर्भय सागर

आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर तिलकगंज में सिद्धचक्र महामंडल विधान के प्रथम दिवस अभिषेक एवं शांति धारा के साथ विधान हुआ। जिसमें सिद्ध प्रभु के गुणों की आराधना की गई।

सागरDec 18, 2024 / 04:41 pm

Rizwan ansari

sagar

sagar

आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर तिलकगंज में सिद्धचक्र महामंडल विधान के प्रथम दिवस अभिषेक एवं शांति धारा के साथ विधान हुआ। जिसमें सिद्ध प्रभु के गुणों की आराधना की गई। प्रमुख पात्रों ने मंडप शुद्धि करने के उपरांत समवशरण में भगवान को विराजमान किया। आचार्य निर्भय सागर महाराज के सानिध्य इस विधान में प्राप्त हो रहा। सिद्ध चक्र मंडल विधान के दूसरे दिन अर्घ्य समर्पित किए गए। धर्मसभा आचार्य निर्भय सागर महाराज ने कहा कि जो अपनी आत्मा के आनंद सुख गुण में क्रीड़ा करता है अर्थात रमण करता है वह देव कहलाता है। अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, जिन आगम, जिन धर्म, जिन प्रतिमा और जिन मंदिर यही नव देवता कहलाते हैं। उन्होंने कहा जैसे मंदिर के बाहर जूते चप्पल छोड़ देते हैं, वैसे ही मन के विकार और कसाय को बाहर ही छोड़ देना चाहिए। तभी भगवान की सच्ची आराधना हो सकती है। घर में स्वार्थ और परमार्थ दोनों बातें हो सकती हैं, लेकिन मंदिर में सिर्फ परमार्थ की बात होना चाहिए। पाद प्रक्षालन चंद्रकांता शाह ने किया। शास्त्र भेंट आदिनाथ शाखा की बहनों का प्राप्त हुआ। इस अवसर पर प्रबंध कमेटी अध्यक्ष नरेंद्र कुमार नायक , उपाध्यक्ष अरविंद कुमार चौधरी, नितिन जैन, मनीष जैन, राजेश जैन, सुधीर जैन, दिलीप सिंघई, तरंग चौधरी, नितिन नायक, उमंग चौधरी और नयन नायक आदि मौजूद रहे।

Hindi News / Sagar / मन के विकार और कसाय को घर के बाहर छोड़ दो : आचार्य निर्भय सागर

ट्रेंडिंग वीडियो