80 हजार रुपए है सालाना फीस
शहर में दो निजी कॉलेज हैं, जहां 80 हजार रुपए सलाना फीस विद्यार्थियों को देना पड़ती है। इसमें 3300 के करीब मानदेय भी दिया जाता है। गौरतलब है कि सागर संभाग के छतरपुर, टीकमगढ़, सागर, दमोह व पन्ना में नर्सिंग कॉलेज सरकारी तौर पर संचालित न होने से यहां निजी कॉलेजों का बोलबाला है। जिनमें से कई मानक स्तर की मान्यता भी नहीं लिए हैं, जिससे यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय बन रहा है।
5 हजार रुपए फीस भी हो चुकी थी जमा
बीएससी नर्सिंग कॉलेज की अनुमति इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आइएनसी) देती है। इससे पहले एमसीआई की टीम निरीक्षण कर इन्फ्रास्ट्रक्चर और फैकल्टी की जांच करती है। प्रबंधन आइएनसी की टीम को बुलाने 5 हजार रुपए बतौर फीस जल्द जमा कर चुकी है। चूंकि जीएनएम हेल्थ विभाग का है। हेल्थ विभाग की टीम भी यहां आकर निरीक्षण कर चुकी थी।
एक साल का और इंतजार
वर्तमान में एकमात्र सरकारी बीएससी नर्सिंग कॉलेज इंदौर में है। प्रदेश के विद्यार्थी इसमें शामिल होने के लिए इंदौर में दाखिला लेते हैं। सीटें कम होने के कारण लाखों विद्यार्थियों को निजी कॉलेजों में प्रवेश लेना पड़ता है। शासन द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी न देने से इस साल भी यह दौड़ खत्म नहीं हो पाई। एेसे में अब विद्यार्थियों को एक साल और इंतजार करना पड़ेगा।
यह हुई थी प्रक्रिया
मेनपानी में प्रस्तावित कॉलेज के लिए शासन ने बीएमसी को 13 करोड़ रुपए की दी थी स्वीकृती।
50 एकड़ जमीन के सीमांकन का काम भी उसी वक्त हुआ था पूरा।
भवन निर्माण, हॉस्टल और फैक्ल्टी नियुक्ति के लिए गठित थी कमेटी।
बीएससी नर्सिंग के लिए डिजायरिबिल्टी एंड फिजिबिल्टी (डीएनएफ) सर्टिफिकेट बीएमसी को जारी किया गया था।