अब करना पड़ रहा रेकॉर्ड मेंटेंन-
गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए सरकार ने नि:शुल्क महंगे एल्बुमिन इंजेक्शन की व्यवस्था की है। अभी तक निगरानी नहीं होती थी, लिहाजा सरकार को इंजेक्शन खरीदने में अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ रही थी। डीन डॉ. पीएस ठाकुर ने अब स्टोर इंचार्ज को सख्त निर्देश दिए कि इंजेक्शन देने में आनाकानी न करें लेकिन रेकॉर्ड मेंटेंन करें, यह सुनिश्चित करें कि कौनसे डॉक्टर्स ने किस मरीज को कितने इंजेक्शन लिखे हैं।
आ गया तीन गुना फर्क-
डीन के निर्देश के बाद बीएमसी के स्टोर से अभी हर दिन 3 से 5 इंजेक्शन मरीजों की फाइल के साथ इश्यू हो रहे हैं। एक माह में करीब 6 से 7 लाख रुपए के इंजेक्शन ही दिए गए हैं। जबकि इसके पहले स्टोर से विभागों को एक साथ 6-7 इंजेक्शन इश्यू कर दिए जाते थे ताकि जब उन्हें जब जरूरत हो डॉक्टर इस्तेमाल कर सकें। इसमें करीब 18-20 लाख रुपए के इंजेक्शन खप जाते थे। इन मरीजों को रहती है इंजेक्शन की जरूरत- बीएमसी के आइसीयू, बर्न वार्ड, सर्जरी व मेडिसिन जैसे तमाम वार्डों में मरीज के शरीर में प्रोटीन की कमी होने पर, सर्जरी के ऐसे केस जहां ऑपरेशन के बाद लंबे समय तक मरीज खाना नहीं खा पाते। इसी तरह किडनी-लीवर और कैंसर मरीजों को भी इसकी जरूरत होती है। बर्न वार्ड के मरीजों को भी एल्बुमिन इंजेक्शन दिया जाता है।
फैक्ट फाइल- 150 मरीज गंभीर बीमारी के भर्ती रहते हैं। 3 गुना घटी एल्बुमिन इंजेक्शन की खपत। 5 हजार को आता है एक इंजेक्शन। 15 की जगह अब मात्र 3 से 5 इंजेक्शन इश्यू हो रहे।
6 विभागों के मरीजों को होती है जरूरत। -एल्बुमिन इंजेक्शन सहित तमाम दवाओं के उपयोग पर पारदर्शिता बनी रहे इसलिए रेकॉर्ड मेंटेंन करने के निर्देश दिए गए हैं। सभी दवाओं के रेकॉर्ड रखे जा रहे हैं।
डॉ. पीएस ठाकुर, डीन बीएमसी।