बुधवार को गढ़ाकोटा निवासी दुर्गेश पटेल अपने परिजन को टांके कटवाने बीएमसी लाया था। बीएमसी में हुए ऑपरेशन के बाद उसके टांके पक गए थे और मरीज दर्द से कराह रहा था। पहले परिजन सीधे हड्डी रोग विभाग गए तो वहां डॉक्टर्स ने कहा कि पुरानी पर्ची नहीं चलेगी, नई ओपीडी पर्ची लेकर आओ। दुर्गेश ओपीडी पर्ची बनवाने लाइन में लगा तो आभा आइडी के लिए लगाए गए कर्मचारी उसे लाइन से पकडकऱ आभा आइडी काउंटर ले आए और बोले अब ओपीडी पर्ची सिर्फ आभा आइडी पर्ची से ही बनेगी। मरीज के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं था, किसी तरह भटककर उसने मोबाइल की व्यवस्था की। एक घंटे परेशान होने के बाद आभा आइडी बनी तो उसे फिर आभा आइडी से पर्ची निकलवाने के लिए लाइन में लगना पड़ा। इस पूरी प्रक्रिया में दोपहर के 1.15 बज गए और जब वह हड्डी रोग विभाग पहुंचा तो विशेषज्ञ डॉक्टर्स कुर्सी छोडकऱ जा चुके थे। विभाग में मौजूद पीजी छात्रों ने उसे अगले दिन आने का कहा। मरीज अभी भी दर्द से कराह रहा था। किसी ने सलाह दी तो वह मरीज को लेकर फिर आपातकालीन वार्ड पहुंचा, जहां से मरीज का इलाज शुरू हो पाया।
व्यवस्थाएं हैं नहीं और मरीजों को मजबूर कर रहे आभा आइडी सेंटर में मरीजों को पकड़-पकडकऱ लाने के लिए भले किराए के 5-6 लडक़े लगे हों लेकिन इनके पास मात्र एक ही कंप्यूटर ऑपरेटर है जो मरीजों की आभा आइडी से पर्ची निकालता है। बीएमसी में 2 हजार रोज की ओपीडी होती है और इसमें से 80 प्रतिशत यदि आभा आइडी से पर्ची बनेंगी तो एक ऑपरेटर कहां तक पर्ची बना पाएगा। इससे मरीजों को ही परेशानी होगी।
दो माह में ही 40 हजार रजिस्ट्रेशन बीएमसी में आभा आइडी से पर्ची की व्यवस्था 25 अप्रेल से ही शुरू हुई थी। अभी 2 माह ही हुए हैं और रजिस्ट्रेशन 40 हजार के पार पहुंच गए हैं। बुधवार को भी 1024 आभा आइडी के रजिस्ट्रेशन किए गए। व्यवस्था शुरू होने पर टोकन जनरेशन के मामले में बीएमसी भले टॉप पर आ गया है लेकिन मरीजों की दिक्कतें देखी होती तो भी बीएमसी टॉप पर होता।
अब करीब 80 प्रतिशत पर्ची आभा आइडी से बनाई जा रही है। एक बार प्रोफाइल अपडेट होने के बाद इससे मरीजों की पूरी प्रोफाइल ऑनलाइन अपडेट रहेगी। तैयारी की जा रहीं हैं। 6 और लडक़ों को अभी वैकल्पिक व्यवस्था के लिए लगाया गया है। जल्द ही मरीजों की समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
डॉ. एसपी सिंह. प्रभारी अधिकारी आभा आइडी