प्रदेश में सरकार बदलते ही रीवा में तत्काल कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई हुई थी। जिसमें टीआरएस कालेज के तत्कालीन प्राचार्य रामलला शुक्ला भी शामिल हैं। उन्हें प्राचार्य के पद से हटाते हुए प्रो. अर्पिता अवस्थी को प्रभार दिया गया। जिसके कुछ दिन बाद ही उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर जानकारी दी कि कैशबुक का प्रभार नहीं दिया जा रहा है। कई वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख करते हुए जांच की मांग उठाई थी। कलेक्टर भी कुछ दिन के बाद कालेज निरीक्षण करने पहुंचे और करीब डेढ़ घंटे से अधिक समय तक वहां की स्थितियों का जायजा लिया। किसी कलेक्टर द्वारा टीआरएस कालेज में निरीक्षण का यह सर्वाधिक समय बताया जा रहा था। तभी से माना जा रहा था कि कार्रवाई होगी।
कलेक्टर ने टीआरएस कालेज में कथित भ्रष्टाचार की जांच कराने के लिए अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा की अगुआई में तीन सदस्यीय विशेष जांच दल गठित किया था। करीब दो महीने तक एक-एक दस्तावेज का परीक्षण करने के बाद टीम ने अपनी रिपोर्ट में भ्रष्टाचार की पुष्टि की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर संभागायुक्त आरके जैन ने पूर्व प्राचार्य रामलला शुक्ला, एसयू खान, सत्येन्द्र शर्मा सहित 15 प्रोफेसर्स और कर्मचारियों को नोटिस जारी किया था। इसमें से कइयों ने अपना जवाब तत्काल प्रस्तुत कर दिया है, कुछ अभी तक जवाब नहीं प्रस्तुत कर पाए हैं। माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार के इस मामले में अभी और लोगों पर कार्रवाई हो सकती है।
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