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रीवा

स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में रीवा की 97 रैंकिंग, ओडीएफ प्लस प्लस के अंक ही नहीं जोड़े

– देश के शहरों की ओवरआल रैंकिंग में 97 और समांतर शहरों में 75वीं रैंक रीवा को मिली- सर्वे करने वाली संस्था के सामने नगर निगम ने दर्ज कराई आपत्ति

रीवाOct 02, 2022 / 11:20 am

Mrigendra Singh

Rewa

swachhta survekshan 2022 result, ranking rewa-mp


रीवा। स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 के परिणामों के साथ ही शहरों की रैंकिंग जारी कर दी गई है। जिसमें रीवा को ओवरआल रैंकिंग 97 मिली है। तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों में 75वां स्थान है। केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई इस रैंकिंग में तकनीकी त्रुटियां भी सामने आई हैं। जिसमें रीवा शहर के ही 400 अंक प्राप्तांकों में नहीं जोड़े गए हैं। यही वजह है कि रीवा की रैंकिंग पीछे चली गई है। ओडीएफ प्लस प्लस शहरों की घोषणा सर्वे से पहले ही हो गई थी। इसका सर्टिफिकेट मिलते ही तय हो गया था कि शहर के 600 अंक स्वच्छता सर्वे में यह पक्के होंगे। अब जब रैंकिंग जारी हुई है तो इन 600 अंकों की जगह केवल 200 अंक ही दिए गए हैं। जिससे 400 अंकों का नुकसान है। माना जा रहा है कि यह 400 अंक प्राप्त होंगे तो नगर निगम की स्टार रेटिंग के साथ ही ओवरआल रैंकिंग में भी सुधार होगा। निगम के अधिकारियों का अनुमान है कि 400 अंक जुडऩे के बाद निगम की ओवरआल रैंकिंग 50-55 के बीच हो जाएगी, जो पूर्व के वर्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन माना जाएगा। रैंकिंग की इस तकनीकी त्रुटि पर नगर निगम ने सर्वे करने वाली संस्था के सामने अपनी आपत्तियां दर्ज करा दी है। जहां से कहा गया है कि यह तकनीकी सुधार करने से कई शहरों की रैंकिंग प्रभावित होगी, इसलिए करीब सप्ताह भर का समय नई रैंक जारी करने में लग जाएंगे।
अवार्ड कैटेगरी से बाहर होने के चलते पहले ही व्यवस्थाएं होने के बाद भी अच्छा प्रदर्शन नहीं होने के कारण सवाल उठाए जा रहे थे। अब तकनीकी त्रुटि ने ओवरआल रैंक को और पीछे कर दिया है, इसकी जानकारी मिलते ही निगम प्रशासन अलर्ट हो गया है। यहां से ई-मेल पर शिकायत भेजने के साथ दिल्ली में मौजूद एक अधिकारी के माध्यम से भी आपत्ति दर्ज करा दी गई है।

बेहतर रैंकिंग के लिए प्रयास नाकाफी साबित हुए
शहर को बेहतर स्वच्छता रैंकिंग दिलवाने के लिए इस साल प्रयास भी हुए लेकिन वह कामयाबी तक नहीं पहुंचा पाए। शहर की सड़कों के किनारे भवन निर्माण सामग्री जो स्वच्छता पर ग्रहण लगाती थी उसके लिए विशेष वाहन के जरिए संकलन शुरू कराया और उसका पुनर्चक्रण कर पेवर ब्लाक बनवाए गए। शहर की नदियों और नालों को स्वच्छ रखने के लिए उनमें कचरा फेकने से रोकने के लिए सड़क किनारे जालियां लगाई गई। इसके अलावा थ्री आर पार्क, कबाड़ सामग्री का उपयोग, पक्षियों के लिए गर्मी के दिनों में पार्कों में दाना-पानी के लिए लकड़ी के पक्षीघर बनाए गए। रात्रिकालीन सफाई, दीवारों में पेंटिंग, मंदिर के कचरे का प्रबंधन, सेल्फी प्वाइंट, वार्डों के बोर्ड सहित कई ऐसे कार्य कराए गए, इसके बाद भी अपेक्षा के अनुरूप सफलता हासिल नहीं हुई।

कमियों में सुधार से आगे मिल पाएगी सफलता
शहर में स्वच्छता को लेकर बीते कुछ सालों में माहौल बना है, लोगों का सहयोग भी मिलना शुरू हो गया है। इसके बावजूद कई ऐसी कमियां हैं जिनके लिए इंदौर-भोपाल की तरह प्रयास करने की जरूरत है। शहर की सफाई व्यवस्था की सबसे बड़ी बाधिक पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है। इसके लिए अब तक कारगर प्रयास नहीं हुए, इसके विकल्पों पर ध्यान नहीं दिया गया। पालीथिन का उपयोग कम करने के लिए बर्तन बैंक और झोला बैंक की वार्डों में स्थापना करने की जरूरत है। कचरा कलेक्शन व्यवस्था वार्डों में शतप्रतिशत होने के बाद ही कचरा मुक्त शहर की परिकल्पना साकार होगी। ई-वेस्ट और मेडिकल वेस्ट के संकलन और निपटान की तकनीकी व्यवस्था भी जरूरी है। स्वच्छता सर्वेक्षण में शुरुआत से ही शासन का जोर रहा है कि सूखा और गीला कचरा अलग-अलग संकलित होना चाहिए। कुछ मोहल्लों में प्रयास हुआ लेकिन निगम के कचरा संकलन वाले जो वाहन हैं उनमें दोनों तरह के कचरे मिक्स कर दिए जाते हैं। साथ ही घरों पर ही कचरा प्रबंधन की आदत डालने की जरूरत है।
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सिटीजन फीडबैक में बेहतर प्रदर्शन
स्वच्छता सर्वेक्षण कुल 7500 अंकों का था जिसमें 2250 अंक सिटीजन वाइस के थे। जिसमें शहर के लोगों द्वारा स्वच्छता के प्रति फीडबैक देने के आधार पर अंक दिए गए हैं। इसमें बुजुर्गों और युवाओं से अलग-अलग जानकारी प्राप्त की गई थी। दोनों वर्षों ने शहर की सफाई व्यवस्था पर संतुष्टि जाहिर की और 2250 अंकों में नगर निगम को 2071 अंक मिले हैं। सर्विस लेवल प्रोग्रेस में भी उम्मीदों को झटका लगा है। इसमें तीन हजार अंकों में से 1780 अंक दिए गए हैं, जबकि क्लस्टर प्रोजेक्ट पहडिय़ा में शुरू हो चुका है जहां पर कचरे का निपटान किया जा रहा है। अन्य सेवाओं में सर्वे दल ने कमियां पाई है। स्टार रेटिंग में फाइव स्टार के लिए आवेदन किया गया था, उम्मीद थी कि इसमें कम से कम आठ अंक प्राप्त होंगे लेकिन 400 अंक ही मिल पाए। वहीं ओडीएफ में 600 अंकों का सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी 200 अंक जोड़े गए हैं।
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रैंकिंग में मिले अंक
– सर्वेक्षण के कुल अंक- 7500/4451
– सिटी वाइस- 2250/2071
– सर्विस लेवल प्रोग्रेस– 3000/1780
– सर्टिफिकेशन- 2250/600
– (क) स्टार रेटिंग- 1250/400
– (ख)ओडीएफ- 1000/200
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स्टेट लेवल रैंकिंग में 29वें नंबर पर
स्वच्छता की रैंकिंग जारी होने के बाद मध्यप्रदेश के शहरों की स्टेट लेवल रैंकिंग भी जारी हुई है। जिसमें रीवा नगर निगम को 29वां स्थान मिला है। संभाग से सिंगरौली नगर निगम का बेहतर प्रदर्शन इस बार भी रहा है। स्टेट रैंकिंग में नौवां स्थान मिला है। जबकि सतना नगर निगम को 24वां स्था हासिल हुआ है। वहीं नगर परिषदों की स्वच्छता रैंकिंग विभाग के पोर्टल पर आई तकनीकी खराबी के चलते नहीं प्राप्त हो सकी है।
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रैंकिंग में उम्मीद के अनुसार रैंक प्राप्त नहीं हो पाई है। फिर भी देश के टॉप-100 शहरों में शामिल होना आगे काम करने के लिए उत्साह बढ़ाएगा। पूरा ब्यौरा प्राप्त होने के बाद समीक्षा होगी और कमियों को सुधारते हुए आगे अवार्ड प्राप्त हो इसके लिए प्रयास होगा।
अजय मिश्रा बाबा, महापौर



नगर निगम की पिछली रैंक से अच्छा प्रदर्शन रहा है। ओडीएफ प्लस प्लस का स्कोर नहीं जुड़ा है, उसके जुडऩे के बाद टॉप-50 के भीतर रैंक आनेे का अनुमान है। इसके साथ ही नगर परिषदों का भी अच्छा प्रदर्शन रहा है। मध्यप्रदेश को स्वच्छ राज्य बनाने में रीवा जिले की भूमिका भी अहम रही है।
मनोज पुष्प, कलेक्टर रीवा
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स्वच्छता रैंकिंग में तीन लाख तक की आबादी वाले शहरों में 75वां स्थान है। पिछले वर्ष की तुलना में रैंक सुधरी है। ओडीएफ प्लस प्लस के 600 अंक जुडऩे चाहिए लेकिन 200 अंक ही जुड़े जिससे रैंक नीचे चली गई है। सर्वे टीम को जानकारी भेज दी गई है, इसमें जल्द ही सुधार होगा।
मृणाल मीना, आयुक्त नगर निगम रीवा
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अब तक रीवा को मिली रैंकिंग

वर्ष— रैंकिंग
2022–97
2021–93
2020– 116
2019–75
2018–49
2017—38
2016- 398
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