आइएचएसडीपी योजना के तहत 8.75 करोड़ रुपए की लागत से शहर के रतहरा में 248 मकान बनाए गए थे। जहां पर शहर के रानीतालाब और चूना भ_ा से विस्थापित परिवारों को मकान दिया जाना था। इसमें हितग्राहियों को भी राशि जमा करनी थी, जिस पर कई बार संशोधन हुआ। नगर निगम ने पहले 15 हजार फिर दस हजार फिर आठ हजार रुपए जमा करने के लिए कहा। केवल नौ हितग्राहियों ने राशि जमा की और उन्हें यूनियन बैंक से शेष राशि फाइनेंस कराई गई। इनके द्वारा फाइनेंस की किश्त नहीं दी गई तो अन्य के लिए भी बैंक ने इंकार कर दिया।
ेनिगम आयुक्त ने प्रस्ताव में कहा है कि तत्कालीन प्रभारी आयुक्त शैलेन्द्र शुक्ला के कार्यकाल में आइएचएसडीपी योजना के तहत बने मकानों में कब्जा अधिकारियों ने करा दिया। निर्धारित राशि जमा किए बिना ही अब तक लोग वहां पर रह रहे हैं। शिकायतें हुईं तो तत्कालीन उपयंत्री एसके गर्ग, एसएल दहायत, सुधीर गर्ग आदि ने प्रतिवेदन में कहा था कि कब्जाधारी हटने को तैयार नहीं हैं, उनका तर्क है कि विस्थापन के दौरान उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया गया था। उस दौरान पुलिस को भी मकान खाली कराने के लिए पत्र भेजा गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
रीवा के वर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल से वसूली कराने के लिए जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसमें आइएचएसडीपी योजना के तहत हितग्राहियों की ओर से दिए जाने वाले अंशदान और उसके ब्याज की राशि की वसूली कराने का प्रस्ताव है। 248 मकानों के हितग्राहियों की ओर से कुल अंशदान 3.71 करोड़ रुपए है। वर्ष 2015 से लेकर 2019 तक नौ प्रतिशत की दर से 1.53 करोड़ रुपए ब्याज की वसूली के लिए कहा गया है। इस तरह से मकान के हितग्राहियों का अंशदान और चार साल का ब्याज कुल मिलाकर 4.94 करोड़ रुपए की वसूली कराने के लिए प्रस्तावित किया गया है।
– योजना पर एक नजर
– आइएचएसडीपी योजना के तहत रतहरा में 156 और रतहरी में 92 मकान बनाए गए।
– कुल 248 मकानों की लागत 8.75 करोड़।
– केन्द्र और राÓयांश 6.53 करोड़ रुपए।
– नगर निगम का अंशदान 1.78 करोड़ रुपए।
– कुल हितग्राही अंशदान 3.72 करोड़ रुपए।
– प्रति हितग्राही अंशदान 1.50 लाख रुपए।
– अमानत राशि 15 हजार रुपए प्रति हितग्राही को जमा करना है, शेष बैंक फाइनेंस होगा।
– रतहरा में रानीतालाब के विस्थापितों को बसाया गया।
– रतहरी में चूनाभ_ा के विस्थापितों को मकान दिया गया।
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विधायक को भी भेजा नोटिस
नगर निगम आयुक्त ने वसूली की नोटिस रीवा विधायक राजेन्द्र शुक्ल को भी भेजा है। जिसमें रतहरा और रतहरी में बनाए गए कुल 248 मकानों में रह रहे लोगों की ओर से जमा की जाने वाली 4.94 करोड़ रुपए जमा कराने के लिए कहा है। इसमें उन्होंने कहा है कि आपके आश्वासन और कहने के चलते लोगों ने कब्जा किया है। इस नोटिस में पूरा ब्यौरा भेजा गया है।
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आइएचएसडीपी योजना के तहत बनाए गए मकानों को नि:शुल्क उपलब्ध कराने का आश्वासन तत्कालीन मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने दिया था। जिसके चलते बिना आवंटन ही लोगों ने कब्जा कर लिया। इनकी वजह से निगम को जो घाटा हुआ है, उसकी भरपाई का दायित्व भी उन्हीं का बनता है। इसलिए वसूली के लिए प्रस्ताव प्रमुख सचिव को भेजा है।
सभाजीत यादव, आयुक्त नगर निगम
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निगम आयुक्त रिटायरमेंट की कगार पर हैं लेकिन अब तक उन्हें इसकी समझ नहीं आई है कि किसे किस तरह का नोटिस देना चाहिए। इसके पहले कार्यपालन यंत्री और एमआइसी पर भी कार्रवाई का प्रयास कर चुके हैं। उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। शहर का विकास ठप कर इस तरह का कार्य कर रहे हैं।
राजेन्द्र शुक्ल, पूर्व मंत्री एवं विधायक रीवा