सुबह सात बजे से बांसा गांव में टिड्डियों को भगाने में जुटी टीम को करीब घंटे भर से अधिक का समय लग गया। इसके बाद यहां से उड़कर आगे की ओर बढ़े। इनके पीछे प्रशासन की टीम भी पहुंचती रही। जिन गांवों में पहुंचते वहां पर तेज साइरन एवं अन्य आवाजों के जरिए भगाने का प्रयास किया जाता रहा। बांसा के बाद कनौजा में कुछ देर तक रुके रहे। यहां भगाने के बाद कई गांवों से होते हुए गुढ़ के नजदीक से बदवार, बरसैता, डढ़वा आदि में पेड़ों में बैठते रहे। यहां से दो झुंडों में ये बंट गए। एक झुंड सीधी जिले की ओर मोहनिया और करियाझर के पहाड़ की ओर गया है।
टिड्डियों का यह दल गांवों से गुजरा तो वहां के अधिकांश लोगों के लिए कौतूहल का विषय भी बना रहा। नई पीढ़ी के लोगों के लिए यह पहला अवसर था जब इतनी अधिक संख्या में टिड्डियों को देखा था। कुछ ने तो इन्हें पकडऩे का भी प्रयास किया और हाथ में लेकर फोटो भी खींची। सोशल मीडिया में हर गांव में पहुंचने की सीधी तस्वीरें पोस्ट की जा रही थी। अति उत्साही युवाओं ने आसमान में उड़ती टिड्डियों के साथ सेल्फी खींचकर इस दिन को जीवन के लिए यादगार बनाया। बताया जाता है कि कई वर्षों के बाद टिड्डियों का झुंड इतनी अधिक सं या में निकला है। पूर्व में यह आता था तो खेतों को नुकसान पहुंचता था। इस बार आया है जब खेती नहीं है।
टिड्डियों का झुंड बरसैता गांव के पास से दो समूहों में बंट गया। एक को तो प्रशासन की टीम ने सीधी जिले की ओर भगा दिया लेकिन दूसरा सीधे आगे की ओर बढ़कर मऊगंज के नजदीक सीतापुर के पास पहुंच गया। जहां पर भी पहुंची टीम ने वहां के ग्रामीणों की मदद से ागाया। जानकारी मिली है कि यह टिड्डी दल सीधी जिले के लकोड़ा गांव में काफी देर तक रुका रहा, वहां से फिर प्रशासन की टीम ने आगे की ओर भगाया।