आपको बता दें कि ध्वज के डिजाइनर ललित मिश्रा बीते कई सालों से राम मंदिर पर लगने वाले ध्वज का डिजाइन तैयार करने में जुटे हुए थे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा गहन रिसर्च भी की है। इससे पहले भी सप्ताह भर पहले उन्होंने श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को ध्वज की तैयार डिजाइन भेजी थी, जिसे ट्रस्ट की 5 सदस्यीय कमेटी ने ध्वज को बारीकी से परखा और उसमें कुछ बदलाव करने के सुझाव दिए थे। उन्हीं सुझावों के आधार पर अब नई डिजाइन तैयार की गई है, जिसे जल्द ही कमेटी के समक्ष पेश किया जाएगा।
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प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए भेजे जाएंगे 100 ध्वज
इस संबंध में ललित मिश्रा का कहना है कि राम जन्म भूमि ट्रस्ट के प्रमुख चंपतराय को हमने पहले जिस ध्वज की डिजाइन पेश की थी उसमें कुछ परिवर्तन करने का सुझाव कमेटी की ओर से मिला था। जिनपर बताए गए संशोधन के अनुरूप नया डिजाइन तैयार कर लिया गया है। अब नई डिजाइन जल्द ही कमेटी के समक्ष पेश की जाएगी। दरअसल भगवान राम सूर्यवंशी थे सूर्यवंश का प्रतीक सूरज है। इसलिए सूर्य को ध्वज में अंकित किया दया है। साथ ही कोविदार के पेड़ को भी ध्वज में स्थान दिया गया है।
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कोविदार के वृक्ष का महत्व
मीडिया से चर्चा के दौरान ललित मिश्रा ने ध्वज पर अंकित कोविदार के वृक्ष का महत्व बताते हुए कहा कि कोविदार का वृक्ष अयोध्या के राज ध्वज में भी अंकित हुआ करता था। एक तरह से कोविदार का वृक्ष अयोध्या का राज वृक्ष हुआ करता था, जिस तरह मौजूदा समय में भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है। समय के साथ कोविदार वृक्ष को लेकर की जानकारी और संख्या कम होती गई। लेकिन एक समय में ये महत्वपूर्ण वृक्ष हुआ करता था। वृक्ष का जिक्र पुराणों में भी है जो लोग कोविदार को ही कचनार का पेड़ मानते हैं, उनकी धारणा गलत है। पौराणिक मान्यता है कि ऋषि कश्यप ने इस पेड़ को बनाया था। इसका जिक्र हरिवंश पुराण में मिलता है। ये पेड़ पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। यही कारण है कि कोविदार अयोध्या का राजकीय वृक्ष हुआ करता था।