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हिंदू धर्म ग्रंथों के वे श्लोक जो संस्थाओं के ध्येय वाक्य बने, इन पांच को जानना चाहिए

देश के तमाम संस्थाओं ने अपने उद्देश्य के मकसद से कुछ ध्येय वाक्य अपनाए हैं, उन्हें देखकर दिमाग में आता होगा कि ये कहां से लिए गए हैं. इनमें से अधिकांश हमारे प्राचीन ज्ञान के स्रोत और धर्म ग्रंथों से लिए गए हैं। आइये आपको बताते हैं पांच प्रमुख संस्थाओं के ध्येय वाक्य जिन्हें जानना चाहिए।

Dec 15, 2022 / 01:14 pm

shailendra tiwari

verses of Hindu religious texts which became motto of institutions

भारत की कई संस्थाओं ने धार्मिक ग्रंथों के श्लोक को ध्येय वाक्य बनाया है।

भोपाल. भारत की सभ्यता हजारों साल पुरानी है। यहां ज्ञान विज्ञान पर हमेशा जोर रहा है। हमारे ऋषि मनीषियों ने इस ज्ञान के अकूल भंडार को विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में सहेजा है। फिर वे वेद, पुराण, उपनिषद, महाभारत, गीता हो या कोई अन्य। लेकिन सभी का मकसद है मानव कल्याण, नीति और धर्म। इस ज्ञान के भंडार के कुछ अंशों को आजादी के बाद हमारी संस्थाओं ने अपनाया।

1. सत्यमेव जयतेः यह श्लोक भारत सरकार का ध्येय वाक्य है। इसका अर्थ है सत्य की ही जीत होती है। यह भारत के राज चिह्न का अंश है, जिसे मुंडकोपनिषद से लिया गया है। धार्मिक विद्वानों का कहना है कि सत्य हिंदू धर्म की बुनियादी अवधारणाओं में से है और सत्य के साथ खड़े व्यक्ति के पक्ष में आचरण हो, यही समाज और धर्म की मंशा है, जिसमें मानव कल्याण निहित है। यही भारत सरकार की भी मंशा है। इसीलिए सरकार ने इस श्लोक को अपना ध्येय वाक्य बनाया।
2. यतो धर्मोस्ततो जयः यह श्लोक भारत के उच्चतम न्यायालय का ध्येय वाक्य है। यतो धर्मस्ततो जयः का अर्थ है जहां धर्म है, वहां विजय है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदर्श वाक्य में न्याय की जीत की बात कही गई है, यानी किसी के साथ अन्याय न हो। यह श्लोक महाभारत से लिया गया है। जिसमें धर्म और अधर्म के पक्ष में युद्ध के माध्यम से समाज को धर्म के पक्ष में रहने की सीख दी गई है।

यह ध्येय वाक्य सुप्रीम कोर्ट के लोगो जिसमें अशोक चक्र बना हुआ है उसके नीचे लिखा हुआ है। यह महाभारत के एक श्लोक यतः कृष्णो ततो धर्मो यतो धर्मः ततो जयः का हिस्सा है। यह महाभारत के उस प्रसंग का है जिसमें अर्जुन युधिष्ठिर की अकर्मण्यता को दूर करने की कोशिश करते हैं और कहते हैं विजय धर्म के पक्ष में ही होती है और धर्म वहीं है जहां श्रीकृष्ण हैं।
3. अहर्निशं सेवामहेः यह श्लोक भारतीय डाक तार विभाग, बीएसएनएल और सेना पोस्टल कोर का ध्येय वाक्य है, जिसका अर्थ हे कि हम दिन रात आपकी सेवा में हैं. यह श्लोक रामायण से लिया गया है, जिसमें प्रजा की सेवा को धार्मिक कार्य बताया गया है और कर्तव्यों व धर्म के बीच संबंध दर्शाया गया है।
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4. सद्रक्षणाय खलनिग्रहणायः यह श्लोक मुंबई पुलिस का ध्येय वाक्य है, जिसका अर्थ है सच्चे लोगों की रक्षा के लिए और दुष्ट लोगों पर नियंत्रण के लिए. यह श्लोक श्रीमदभागवत से लिया गया है। इस श्लोक में सज्जनों की रक्षा और उन्हें दुष्ट लोगों से बचाना धार्मिक कार्य और कर्तव्य बताया गया है।

5. सर्वजन हिताय सर्वजन सुखायः यह श्लोक आल इंडिया रेडियो का ध्येय वाक्य है, जिसे ऋग्वेद से लिया गया है। सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का अर्थ है सभी के हित के लिए सबके सुख के लिए . इस ग्रंथ में मानव कल्याण और समाज के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है।

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