इस दिन प्रारंभ करें प्रदोष व्रतः ऐसे लोग जो पहली बार प्रदोष व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं उन्हें शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। सावन और कार्तिक महीने इस व्रत की शुरुआत के लिए श्रेष्ठ माने गए हैं। इस व्रत को विधिवत पूजा अर्चना के बाद संकल्प लेकर करना चाहिए।
सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत लगातार दूसरी बार सोमवार को पड़ रहा है। इससे पहले यह 3 अप्रैल को सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ था, जबकि 19 मार्च 2023 को रवि प्रदोष व्रत था। विद्वानों के अनुसार सूर्यास्त से 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद की अवधि के बीच के समय यानी प्रदोषकाल में भी पूजा करनी चाहिए।
1. इस दिन सुबह स्नान ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. हल्के लाल या गुलाबी रंग के कपड़े पहनें।
3. मंदिर में जाकर हाथ में जल और पुष्प लेकर सोम प्रदोष व्रत का संकल्प लें।
4. फिर दैनिक पूजा और आराधना करें।
6. फिर शुद्ध जल से 108 बार ऊँ सर्व सिद्ध प्रदाये नमः मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करना चाहिए।
7. इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करना चाहिए।
8. प्रदोष पूजा मुहूर्त में फिर स्नान कर भगवान शिव की प्रतिमा के सामने बैठें और पूजा कर गंगाजल से अभिषेक करें।
9. धूप दीया, अक्षत, पुष्प, धतूरा, फल चंदन, गाय का दूध, भांग चढ़ाएं। मौसमी फल, सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
10. रेवड़ी, चिरौंजी, मिश्री का भी भोग लगा सकते हैं, इस दौरान ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें।
11. शिव चालीसा का पाठ कर चंद्रमौली भगवान शिव की आरती करें। फिर प्रसाद परिजनों को बांट दें।
12. थोड़ा प्रसाद, दान दक्षिणा ब्राह्मण के लिए निकाल लें।
13. चतुर्दशी के दिन चंद्रमौली की पूजा के बाद ब्राह्मण को दान दक्षिणा के बाद व्रत का पारण करें।
वैशाख सोम प्रदोष के खास उपाय
2. वैशाख के सोमवार से बेल के पेड़की पूजा कर फूल, कुमकुम, प्रसाद आदि चढ़ाएं, इसकी पूजा से शुभ फल मिलते हैं। बेलपत्र के नीचे दीपक जलाना भी मंगलकारी होता है।
3. वैशाख के सोमवार को केसर को जल में मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाने से विवाह और दांपत्य जीवन की समस्याएं खत्म होती हैं।