Navratri Puja 4th Day: माता की पूजा से होता है रोग शोक का नाश, जान लें मां कूष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि (Navratri Puja) के चौथे दिन माता दुर्गा के चौथे स्वरूप की (Mata Kushmanda Ki Puja Vidhi) पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि 2023 (Chaitra Navratri 2023) का चौथा दिन 25 मार्च शनिवार को पड़ रहा है। इस दिन भक्त मां कूष्मांडा की पूजा करेंगे। आइये जानते हैं कि कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप, माता कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र आदि…
मां का स्वरूपः जगदंबा दुर्गा के माता कूष्मांडा स्वरूप का धार्मिक ग्रंथों में खूब बखान किया गया है। इनके स्वरूप को असीम तेजोमय कहा गया है। कहा जाता है ब्रह्मांड के प्राणियों, जीव, जंतुओं, वस्तुओं में जो तेज है, इन्हीं की छाया है। इनके तेज से दसों दिशाएं प्रकाशित होती हैं। इनकी आठ भुजाएं हैं, इसलिए इनको अष्टभुजा भी कहा जाता है।
इनके सात हाथ में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र गदा सुशोभित होती हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों को देने वाली जप माला है। इनका वाहन सिंह बताया गया है। माता को कुम्हड़े (कूष्मांडा) की बलि प्रिय है। इसलिए इन्हें कूष्मांडा कहा जाता है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी कूष्मांडा इस चराचर जगत की अधिष्ठात्री हैं।
यह स्वरूप योग ध्यान की देवी हैं, देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का है। यह लोगों की क्षुधा भी शांत करती हैं। इसलिए देवी का मानसिक जाप करना चाहिए। प्रयागराज के आचार्य पं. प्रदीप पाण्डेय के अनुसार नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा की विधिवत पूजा करनी चाहिए।
इस स्वरूप की पूजा भी अन्य स्वरूप के अनुसार ही होती है। इस दिन भी सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित सभी देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए, इसके बाद माता दुर्गा और उनके कूष्मांडा स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। पूजा शुरू करने से पहले हाथ में फूल लेकर माता कूष्मांडा का ध्यान सुरासंपूर्णकलशं रूधिराप्लतुमेव च दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्मांडा शुभदास्तु मे मंत्र का जाप करना चाहिए।
1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान ध्यान के बाद माता कुष्मांडा को प्रणाम करें। 2. पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करें, माता को जल पुष्प अर्पित करें और मन ही मन अपना व परिजनों का स्वास्थ्य अच्छा रखने के लिए प्रार्थना करें। यदि साधक के घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो उसे शीघ्र अच्छा स्वास्थ्य देने की खास प्रार्थना करना चाहिए।
3. देवी को श्रद्धा से सिंदूर, दीप, धूप, लाल रंग का पुष्प(गुड़हल, गुलाब) , फल, भोग अर्पित करें। 4. साधक को माता कूष्मांडा की पूजा के लिए देवी कवच पांच बार पढ़ना चाहिए। 5. या देवी सर्वभूतेषु कूष्मांडा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। 6. पूजा के बाद बड़ों का आशीर्वाद लें।
ये भी पढ़ेंः 100 साल बाद बन रहा है दुर्लभ महासंयोग, एक साथ 4 राजयोग बदलने वाले हैं इन राशियों की किस्मत मां को लगाएं मालपुए का भोग माता कूष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है। इसलिए चौथे स्वरूप की पूजा के दौरान माता को मालपुए अर्पित करना चाहिए। देवी कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि प्रिय है, यह ब्रह्मांड इसी तरह माना जाता है, जो अंदर से खाली है और यहां माता निवास करती हैं और संसार की रक्षा करती हैं। इसलिए इन्हें कुम्हड़े का भी भोग लगा सकते हैं।
मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता कुष्मांडा अल्प सेवा से ही प्रसन्न होने वाली हैं। इनकी उपासना से समस्त सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। रोग शोक दूर होता है और आयु यश बढ़ता है। साथ ही माता अपने भक्त को सुख, संपत्ति और उन्नति प्रदान करती हैं। इनकी आराधना से सूर्य संबंधित दोष भी दूर होते हैं। यश भी मिलता है।