एक दुसरे पौराणिक उल्लेख अनुसार देवी महालक्ष्मी “लक्ष्मी देवी नहीं” से जो उनका सत्व प्रधान रूप उत्पन्न हुआ, देवी का वही रूप ‘सरस्वती’ कहलाया। यह तो ज्ञात है कि देवी सरस्वती का वर्ण श्वेत है उनकी छवि बहुत सुंदर है।
माँ सरस्वती उत्पत्ति कथा मत्स्य पुराण अनुसार…
मत्स्य पुराण में यह कथा थोड़ी सी भिन्न है। मत्स्य पुराण अनुसार ब्रह्मा के पांच सिर थे। कहा जाता है कालांतर में उनका पांचवां सिर काल भैरव ने काट डाला था। कहा जाता है जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो वह समस्त ब्रह्मांड में अकेले थे। ऐसे में उन्होंने अपने मुख से सरस्वती, सान्ध्य, ब्राह्मी को उत्पन्न किया। और ब्रह्मा अपनी ही बनाई हुई रचना, सरवस्ती के प्रति आकर्षित होने लगे और लगातार उन पर अपनी कू दृष्टि डाले रहे। ब्रह्मा की कू दृष्टि से बचने के लिए सरस्वती चारों दिशाओं में छिपती रहीं लेकिन वह उनसे नहीं बच पाईं। अंत में सरस्वती आकाश में जाकर छिप गईं, लेकिन अपने पांचवें सिर से ब्रह्मा ने उन्हें आकाश में भी खोज निकाला और उनसे सृष्टि की रचना में सहयोग करने का निवेदन किया। सरस्वती से विवाह करने के पश्चात सर्वप्रथम स्वयंभु मनु को जन्म दिया। इसी कारण ब्रह्मा और सरस्वती की यह संतान ‘मनु’ को पृथ्वी पर जन्म लेने वाला पहला मानव कहा जाता है।