दूसरा दिन
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को चीनी, पंचामृत का प्रसाद प्रिय है। मां को उनके पसंदीदा भोग अर्पित करने से साधक की आयु में वृद्धि होती है।
तीसरा दिन
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई को भोग लगाना चाहिए। इससे मानसिक, शारीरिक व आर्थिक कष्टों दूर होते हैं। चौथा दिन
नवरात्रि के चौथे दिन माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा को मालपुए का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। इससे बुद्धि तेज होती है।
पांचवा दिन
नवरात्रि के पांचवें दिन माता दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन माता को केला चढ़ाना चाहिए। इससे प्रसन्न होकर माता उत्तम स्वास्थ्य और बीमारियों से मुक्ति का आशीर्वाद देती हैं।
छठा दिन
नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस दिन माता को शहद और मीठे पान का भोग लगाना चाहिए। इससे आपके जीवन में सकारात्मकता आती है।
सातवां दिन
मां कालरात्रि की पूजा होती है। इनकी पूजा में गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाएं। इससे शत्रु पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है।
आठवां दिन
आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना चाहिए। इससे धन लाभ और संतान की प्राप्ति होती है।
नौवां दिन
महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां को चना, खीर, पूड़ी, हलवे का प्रसाद लगाएं और फिर 9 कन्या का पूजन कर उन्हें भोजन करना चाहिए। इससे घर में सुख समृद्धि आती है।