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ढाई साल तक कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे शनि देव, ये अवधि इस राशि वालों के लिए कष्टदायी

Shani Gochar 2022 Date: शनि का राशि परिवर्तन (Shani Rashi Parivartan) ज्योतिष के अनुसार एक अहम घटना मानी जाती है। शनि किसी भी राशि में ढाई साल तक विराजमान रहते हैं। 29 अप्रैल को शनि कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। जानिए ये गोचर किस राशि वालों के बढ़ाने वाला है कष्ट?

Jan 14, 2022 / 11:22 am

Laveena Sharma

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ढाई साल तक कुंभ राशि में विराजमान रहेंगे शनि देव, ये अवधि इस राशि वालों के लिए कष्टदायी

Shani Transit 2022: शनि का गोचर ज्योतिष अनुसार काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इसका प्रभाव सभी लोगों के जीवन पर पड़ता है। किसी भी राशि में शनि के गोचर की अवधि ढाई साल की होती है यानी शनि को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में करीब ढाई साल का समय लग जाता है। ये ग्रह जब भी अपनी राशि बदलता है तो किसी राशि वालों को इसकी दशा से मुक्ति मिल जाती है तो किसी पर इसकी दशा शुरू हो जाती है। बता दें शनि ग्रह 29 अप्रैल को कुंभ राशि में प्रवेश कर जायेगा और 2025 तक इस राशि में मौजूद रहेगा। जानिए ढाई साल की ये अवधि किस राशि वालों के लिए सबसे ज्यादा कष्टदायी होने वाली है।
इस राशि वालों की बढ़ेंगी मुश्किलें: शनि कुंभ राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं और इसी राशि के जातकों के लिए ये सबसे ज्यादा मुश्किल समय रहने वाला है। 29 अप्रैल को शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही कुंभ वालों पर शनि साढ़े साती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। इस चरण को शिखर चरण भी कहते हैं। इस दौरान शनि साढ़े साती अपनी चरम सीमा पर होती है। इसलिए ये चरण सबसे ज्यादा कष्टदायी माना जाता है। अगर शनि साढ़े साती से पीड़ित व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति काफी कमजोर है तो इस दौरान व्यक्ति चारों तरफ से परेशानियों से घिर जाता है। उसे हर काम में असफलता का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन अगर शनि मजबूत स्थिति में हैं तो ये चरण शुभ फल प्रदान करने वाला भी साबित हो सकता है।
इन राशियों पर रहेगी शनि साढ़े साती: 29 अप्रैल को शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। जिससे मीन राशि के जातक शनि साढ़े साती की चपेट में आ जायेंगे वहीं धनु वालों को इससे मुक्ति मिल जाएगी। इसके अलावा मकर वालों पर शनि साढ़े साती का आखिरी चरण शुरू हो जाएगा तो कुंभ वालों पर दूसरा।
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शनि साढ़े साती के होते हैं तीन चरण: शनि साढ़े साती की दशा पूरे साढ़े सात साल की होती है। जिसमें ये तीन चरणों में विभाजित होती है। हर चरण की अवधि ढाई साल की होती है। इसके पहले चरण को उदय चरण कहा जाता है जबकि दूसरे चरण को शिखर चरण कहा जाता है। वहीं तीसरे चरण को अस्त चरण कहा जाता है। इन सभी में शनि साढ़े साती का दूसरा चरण सबसे ज्यादा कष्टदायी माना जाता है।
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