नीम करोली बाबा को उनकी भक्त महाराजजी के नाम से भी पुकारते थे। महाराजजी की शिक्षाएं बेहद सरल थीं। वे सबकी समानता पर जोर देते थे और भेदभाव के खिलाफ थे। इसलिए अक्सर कहते थे कि सब एक- सब एक हैं। उन्होंने भक्तों को सिखाया है कि सबसे से प्यार करो, सबकी सेवा करो, भगवान को याद करो और सच बोलो।
चमत्कारी बाबा की सिद्धियों ने अनेकों लोगों को मंझधार से निकाला और अनके प्रकार की सीख दी। उन्होंने इन सिद्धियों के जरिये भी भक्तों को प्यार, सेवा और भगवान के स्मरण की सीख दी।
बाबा नीम करोली का कहना था कि किसी व्यक्ति के पास बहुत अधिक धन है तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह धनवान है। वह व्यक्ति तभी धनवान माना जा सकता है जब उसे इस धन का उपयोग पता हो। ऐसे धन का कोई लाभ नहीं है जो आपके पास है पर किसी गरीब और जरूरतमंद के काम नहीं आ रहा है। इसलिए धनवान वही है जिसे धन की उपयोगिता पता हो।
बाबा नीम करोली का कहना था कि जब तक कोई पात्र आप खाली नहीं करेंगे तो भरेंगे कैसे, ठीक इसी तरह धन जमा करने से कोष नहीं भरता, बल्कि उसे खाली करने से भरता है। धनकोष में धन जमा करके रख देने से एक दिन वह खाली जरूर हो जाएगा। लेकिन इस धन कोष से लोगों की मदद करने वालों को भगवान धनवान बनाते हैं। किसी जरूरतमंद के लिए खाली किए धनकोष पर ईश्वर की असीम कृपा बरसती है। ऐसे लोगों के पास धन की आवक बनी रहती है।
नीम करोली बाबा का कहना है कि धनवान वही है जो खुद को गरीब नहीं समझता है। बल्कि कहें तो असली धनवान वह है जिसके पास चरित्र, व्यवहार और भगवान की आस्था का कोष भरा हुआ है। धातु के आभूषण कागज के नोटों का मनुष्य की देह की तरह नाश हो जाता है। असली धनवान वही है जो कर्म, भाव, कल्याण और भक्ति से भरा हुआ है। अगर आप में ऐसे गुण हैं तो खुद को गरीब न समझें। ऐसे लोग ही सही मायने में धनवान होते हैं।