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Navratri 2023: मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के अचूक मंत्र, ध्यान और जप से कट जाएंगे सारे कष्ट

Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है, पहले दिन 15 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ ही मां शैलपुत्री की पूजा की जा रही है। इसके बाद से देवी उपासना पर्व में लोग देवी मां की भक्ति में डूब गए हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि वे कौन से अचूक मंत्र हैं, और जप-ध्यान का क्या तरीका है जो नवरात्रि में माता को प्रसन्न करता है, आइये जानते हैं…

Oct 15, 2023 / 03:19 pm

Pravin Pandey

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नवरात्रि में माता दुर्गा के अचूक मंत्र

कलश स्थापना से शुरू करें आराधना
ज्योतिर्विद पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार नवरात्र पर्व देवी उपासना का पर्व है। इस नौ दिन के पर्व में प्रत्येक दिन देवी के विशेष स्वरूप की उपासना होती है। साथ ही दुर्गासप्तशती और श्रीमद देवीभागवत पुराण का पाठ किया जाता है। हर दिन मां के अलग-अलग रूपों का ध्यान करने से घर में खुशहाली और समृद्धि आती है। पहले दिन घट स्थापना से मां की आराधना शुरू होती है, जो 9वें दिन हवन के बाद पूर्ण होती है।
पहला दिन
इस दिन कन्या एवं धनु लग्न में अथवा अभिजिन्मुहूर्त में घटस्थापना की जाएगी। पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है। शैलपुत्री के ध्यान और जप मंत्र इस प्रकार है…
ॐ शैलपुत्र्यै नम:
दुर्गा की उपासना में दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यन्त लोकप्रिय है। यह नवरात्र में ही संपन्न हो जाता है। इसमें कुल 13 अध्याय होते हैं। नवरात्र में श्रीमद देवीभागवत पुराण के पाठ का भी प्रचलन है। यह पुराण सभी पुराणों में अतिश्रेष्ठ होता है।
दूसरा दिन
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है। इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र इस प्रकार है…
ॐ ब्रह्मचारिण्यै नम:
प्रथम दिन की तरह दुर्गासप्तशती का पाठ करें। साथ ही श्रीमद् देवीभागवत का पाठ और मां भगवती का ध्यान करने के बाद देवीभागवत के तृतीय स्कन्ध से चतुर्थ स्कन्ध के अष्टम अध्याय तक पाठ करना चाहिए। अन्त में श्रीमद् देवीभागवत पुराण की आरती करनी चाहिए।
तीसरा दिन
तीसरे दिन मां दुर्गा के चन्द्रघंटा स्वरूप की उपासना की जाती है। इनका ध्यान और जपनीय मंत्र इस प्रकार है…
ॐ चंद्रघण्टायै नम:
मां चंद्राघण्टा को दूध से बने व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। इस दिन देवीभागवत के चतुर्थ स्कन्ध के नवम अध्याय से आरंभ करते हुए पंचम स्कन्ध के 18वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए।

देवीभागवत के छठें स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए सातवें स्कन्ध के 18वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए। अन्त में मां भगवती की आरती करें।

चौथा दिन
नवरात्र के चतुर्थ दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की उपासना की जाती है। इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र इस प्रकार है …
ॐ कूष्माण्डायै नम:
मां भगवती का ध्यान करने के बाद देवीभागवत के पंचम स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए छठे स्कन्ध के 18वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए।
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पांचवां दिन
पांचवें दिन मां स्कन्दमाता स्वरूप की उपासना की जाती है। मां का ध्यान मंत्र इस प्रकार है।
ॐ स्कन्दमात्रै नम:
छठा दिन
नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी स्वरूप की उपासना की जाती है। इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र इस प्रकार है …
ॐ कात्यायन्यै नम:
मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवीभागवत के सातवें स्कन्ध के 19वें अध्याय से आरंभ करते हुए आठवें स्कन्ध के 17वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए। मां कात्यायनी के विशेष पूजन के लिए कुमकुम और हल्दी का अर्चन श्रेष्ठ बताया गया है। मां को दूध से बनी मिठाई जैसे पेडे, खीर आदि का भोग लगाया जाता है।
सातवां दिन
नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की उपासना की जाती है। इनका ध्यान और जपनीय मंत्र इस प्रकार है …
ॐ कालरात्र्यै नम:
मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवीभागवत के आठवें स्कन्ध के 18वें अध्याय से आरंभ करते हुए नवें स्कन्ध के 28वें अध्याय तक पाठ करना चाहिए। देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, चामुंडा, चंडी आदि रूपों में से माना जाता है।
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आठवां दिन
नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है। इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र इस प्रकार है …
ॐ महागौर्ये नम:
इस दिन मां भगवती का ध्यान करने के उपरान्त देवीभागवत के नवें स्कन्ध के 29वें अध्याय से आरंभ करते हुए दसवें स्कन्ध की समाप्ति तक पाठ करना चाहिए।
नवां दिन
नवरात्र के नवम दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की उपासना की जाती है। इनका ध्यान एवं जपनीय मंत्र इस प्रकार है…
ॐ सिद्धिदात्र्यै नम:
देवीभागवत के 11वें स्कन्ध के प्रथम अध्याय से आरंभ करते हुए 12वें स्कन्ध की समाप्ति तक पाठ करना चाहिए। अंतिम दिन पाठ समाप्ति के पश्चात् हवन करना चाहिए।
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