scriptNagpanchami Katha: क्यों मनाई जाती है नागपंचमी, इस परंपरा के पीछे है यह कथा | Nagpanchami katha nag panchami stories 2024 celebration reason sawan festival puja tradition | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

Nagpanchami Katha: क्यों मनाई जाती है नागपंचमी, इस परंपरा के पीछे है यह कथा

Nagpanchami katha: हर साल सावन शुक्ल पंचमी के दिन नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है, इस दिन नागों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कुंडली में काल सर्प दोष आदि दूर होते हैं। साथ ही सांपों के कारण होने वाले अनिष्ट का भय समाप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैसे शुरू हुई नाग पंचमी मनाने की परंपरा तो जानिए इसके पीछे की कथा…

भोपालAug 08, 2024 / 09:46 pm

Pravin Pandey

nag panchami katha

नाग पंचमी कथा

नाग पंचमी की कथा 1

एक कथा के अनुसार नागों को सागर मंथन के समय जनमेजय के यज्ञ के दौरान सभी नाग जलकर नष्ट हो जाएंगे। कालांतर में जब अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय को पता चला कि उनके पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश था तो उन्होंने नागों से बदला लेने की सोची और सर्पसत्र नाम के यज्ञ का आयोजन किया। इस दौरान नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और आग के ताप से तक्षक को बचाने के लिए ऋषि ने उन पर कच्चा दूध डाल दिया। इस कारण तक्षक नाग बच गए, नाग तक्षक के बचने से नागों का वंश बच गया। मान्यता है कि तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी और इस दिन नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

नाग पंचमी की कथा 2

एक अन्य कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय वासुकी नाग को रस्सी बनाया गया था। जहां देवताओं ने वासुकी नाग की पूंछ पकड़ी थी, वहीं दानवों ने उनका मुंह पकड़ा था। मंथन में पहले विष निकला जिसे भगवान शिव ने कंठ में धारण किया और समस्त लोकों की रक्षा की। इसके बाद निकले अमृत को देवताओं को दिया गया। यह घटना सावन शुक्ल पंचमी तिथि को हुई थी, इसमें नागों के योगदान को याद करने के लिए नाग पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।

नागपंचमी की कथा 3


एक अन्य कथा के अनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी को ही भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की जान कालिया नाग से बचाई थी। भगवान ने सांप के फन पर नृत्य भी किया था। जिसके बाद वो नथैया कहलाए थे। तब से ही नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
ये भी पढ़ेंः Nag Panchami 2023: इन उपायों से काल सर्प दोष होगा दूर, मिलेगी सुख समृद्धि, जान लें नाग पंचमी की तिथि, मुहूर्त और परंपरा

नागपंचमी की कथा 4

एक कथा के अनुसार एक राजा के सात बेटे थे, सभी के विवाह हो चुके थे। लेकिन सबसे छोटे बेटे को कोई संतान नहीं हुई थी, इससे छोटी बहू को उनकी जिठानियां ताने मारती थीं। इससे वह अक्सर रोनी लगती, पति समझाता तो भी बहू का दुख कम नहीं होता था। इसी तरह समय बीतता रहा, एक बार नागपंचमी से पहले उसे स्वप्न आया, सपने में उसे पांच नाग दिखाई दिए उसमें से एक ने उससे कहा, अरी पुत्री कल नागपंचमी है, कल अगर तू हमारा पूजन करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है।
यह सुनकर वह जाग गई और पति को सारी बात बताई। इस पर पति ने कहा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है। पांच नाग दिखाई दिए हैं तो पांचों की आकृति बनाकर पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन करते हैं, इसलिए कच्चे दूध से उन्हें प्रसन्न करना। छोटी बहू ने वैसा ही किया और नौ महीने बाद उसे पुत्र की प्राप्ति हुई।


नागपंचमी कथा 5

एक किसान के परिवार में दो बेटे और एक बेटी थी। एक दिन खेत जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे मर गए, पहले तो नागिन खूब रोई। बाद में बदला लेने का संकल्प किया और रात में किसान, उसकी पत्नी और दोनों बेटों को डस लिया। अगले दिन वह किसान की बेटी को डसने चली तो उसने उसके सामने दूध रख दिया और हाथ जोड़कर क्षमा मांगने लगी। इससे प्रसन्न होकर नागिन ने किसान परिवार के सभी सदस्यों को जीवित कर दिया। इस दिन सावन शुक्ल पंचमी तिथि थी, तब से नागों के कोप से बचने के लिए नागपंचमी पर नागों की पूजा की जाती है।


नाग पंचमी के दिन इनका करें स्मरण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नाग पंचमी के दिन अनंत, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल आदि नागों का ध्यान किया जाता है और इस दिन घर के दरवाजे पर सांप की 8 आकृतियां बनाई जाती है और हल्दी, रोली, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर सर्प देवता की पूजा की जाती है। इस दिन कच्चे दूध में घी और शक्कर मिलाकर नाग देव का स्मरण कर उन्हें अर्पित करना चाहिए।

Hindi News/ Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / Nagpanchami Katha: क्यों मनाई जाती है नागपंचमी, इस परंपरा के पीछे है यह कथा

ट्रेंडिंग वीडियो