रवि प्रकाश पांडे रजिदा ने द डिवाइन रियलिटी ऑफ श्री बाबा नीब करौरी जी महाराज में लिखा है कि कुमाऊं की पहाड़ियों में मोहन बाबा नाम के सिद्ध संत रहते थे। ये बच्चों जैसे मासूम और सरल थे। इनकी भविष्यवाणियां अक्सर सही होती थीं। किंवदंती है कि ये भगवान से टेलीफोन पर बात करते थे, इसी कारण लोग इन्हें टेलीफोन बाबा के नाम से जानते थे। किंवदंती के अनुसार ये जब भगवान से बात करते थे तब इनकी भावभंगिमा ठीक वैसी ही हुआ करती थी जैसी हमारी टेलीफोन पर बात करते हुए होती है। हालांकि दूसरे भारतीय संतों की तरह ही ये भी अपनी दिव्य शक्तियों को छिपाने के लिए लीला करते थे।
रवि प्रकाश पांडे के अनुसार आगरा मेडिकल कॉलेज के गायनकालजिस्ट डॉ. नवल किशोर श्री बाबा नीब करौरी महाराज के भक्त थे। बाबा में उन्होंने नैनीताल के रामसे अस्पताल को जॉइन कर लिया। कुछ समय बाद डॉ. नवल किशोर बाबा नीम करौली से मिलने पहुंचे तो उन्होंने उनसे हनुमानगढ़ आकर पहाड़ी महिलाओं का इलाज करने के लिए कहा। इस पर डॉ. नवल किशोर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक महिलाओं का इलाज करने लगे।
इस पर बाबा ने एक व्यक्ति को डॉक्टर को बुलाने भीतर भेजा। इस पर डॉक्टर बाहर आए, डॉक्टर को देखते ही बाबा बोले-तुम बीमार हो। डॉक्टर ने कहा नहीं, इस पर बाबा ने फिर कहा कि तुम्हें सर्दी है? डॉक्टर ने उत्तर दिया बस यह एक सामान्य सर्दी है। इस पर बाबा ने एक डंडी ली और डॉक्टर को खुद को रामसे अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कहा। डॉक्टर इसकी जरूरत नहीं समझ रहे थे। लेकिन नीब करौरी बाबा ने कुछ भक्तों के साथ उन्हें अस्पताल भेज दिया।
इस पर मोहन बाबा ने फोन लगाने की भावभंगिमा बनाई। उन्होंने नारदजी को फोन लगाया था और उनसे कहा कि नीम करौली बाबा भगवान विष्णु से बात करना चाहते हैं। जैसे दूसरी ओर से नारदजी ने उत्तर दिया कि भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी से बात कर रहे हैं, उनसे बात नहीं हो सकती। कुछ देर बाद महाराजजी ने मोहन बाबा से फिर से फोन लगाने के लिए कहा। इस बार नारदजी ने मोहन बाबा से जो कुछ भी कहा उसे मोहन बाबा स्पष्ट रूप से सुन नहीं पाए और अपने रहस्यमयी टेलीफोन पर चिल्लाते रहे।
इस बीच अचानक महाराजजी उठे और मोहन बाबा को बाल पकड़कर उठा लिया। फिर जमीन पर पटककर जोर से चिल्लाए। अब वह बच गया है, वह अब बच गया है, और लौट आए । उनके साथ गए दोनों भक्त भी नैनीताल लौट आए, यहां उन्हें डॉक्टर के स्वस्थ होने की खबर मिली।